'राजा साहब' से एलर्जी, अब अपने ही नाम से दिग्गी को क्यों आ रही दिक्कत
भोपाल. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह लगातार चर्चाओं में बने रहते हैं। वे अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रहते हैं। विवादित बातों को लेकर विपक्षी भले ही उनकी लाख आलोचना करें लेकिन इसी बहाने राजनैतिक गलियारों में उनकी पूछपरख भी बनी रहती है। अपने पैतृक इलाके राघोगढ़ की राजशाही के कारण उनके समर्थक प्राय: उन्हें राजा साहब कहकर संबोधित करते रहे हैं और दिग्गी भी इस पर खुश होते आते रहे लेकिन अब उन्हें इस संबोधन से कुछ एलर्जी होती दिख रही है।
राज्य में आनेवाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के लिए दिग्विजयसिंह भी लगातार घूम रहे हैं। वे भाजपा सरकार और उनके मंत्रियों को खुलकर ललकार भी रहे हैं। कमलनाथ की तरह वे राज्यभर का दौरा करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट कर उनका उत्साहवर्धन कर रहे हैं।
खास बात यह है कि दिग्विजयसिंह अब अपने आप को सामंतवादी छवि से मुक्त करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। सन 2003 में प्रदेश में कांग्रेस की जबर्दस्त हार में तब के मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह की सामंतवादी कार्यशैली का सबसेे ज्यादा योगदान था। हाल ये है कि दिग्गी अब उन्हें राजा साहब कहकर बुलाने का भी विरोध करने लगे हैं।
मुझे राजा कहकर संबोधित करना ठीक नहीं
राजधानी भोपाल के रवीन्द्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बात कही। उन्होंने कहा— मुझे राजा साहब कहना बंद करो। यहां आयोजित यूथ कॉन्फ्रेंस में लोकतंत्र में युवाओं की भूमिका विषय पर बोलने के लिए दिग्विजय को भी बुलाया गया था। कॉन्फ्रेंस में मंच संचालक और दूसरे वक्ता दिग्विजय को 'राजा साहब' कहकर संबोधित कर रहे थे। इसपर दिग्विजय ने कहा कि लोकतंत्र राजशाही में नहीं होता, लोकतंत्र जनता के राज में होता है, इसलिए मुझे राजा कहकर संबोधित करना ठीक नहीं।
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