मुरैना की गजक के विदेशी भी मुरीद, जीआई टैग मिलने के बाद दुबई के फेस्टिवल में भी होगी ब्रॉंडिंग
भोपाल. मुरैना की खस्ती करारी गजक का हर कोई दीवाना है। ठंड में तो इसे लोग स्वाद ले लेकर खाते ही हैं, अब तो सालभर इसकी लज्जत लुभाने लगी है। विदेशी भी मुरैना के गजक के मुरीद बन चुके हैं। इस गजक को अब ज्योग्राफिकल इंडिकेटर यानि जीआइ टैग भी मिल गया है। इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए प्रसन्ना जताई है, पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रीवा के सुंदरजा आम और छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दूबराज चावल के साथ ही मुरैना की गजक को जीआइ टैग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इधर एमपी के सीएम शिवराज सिंह ने भी मुरैना की गजक को जीआई टेग मिलने पर मुरैनावासियों के साथ सभी प्रदेशवासियों को इस बात के लिए बधाई दी है। सीएम ने इस उपलब्धि के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गोयल का आभार भी माना है।
यूं तो गजक देशभर में बनती है पर मुरैना की गजक की बात ही अलग है। यहां की गजब बहुत खस्ता और लजीज होती है और यही कारण है कि अब यह देशभर में विख्यात हो गई है। स्थिति ये है कि लोग मुरैना की गजक के नाम से ही इसे मांगते हैं। हाल ही में दिल्ली में फूड फेस्टिवल में भी इसे खूब पसंद किया गया। दिल्ली के प्रगति मैदान पर लगे इस फेस्टिवल में मुरैना की गजक को इटली, दुबई, ब्रिटेन से आए डेलीगेट्स ने काफी पसंद किया।
यहां गजक निर्यात पर भी मंथन किया गया था। आगामी समय में दुबई के फेस्टिवल में भी गजक की ब्रॉंडिंग की जाएगी। पिछले 100 वर्ष से लोगों की जुबां पर चढ़ी मुरैना की गजक को जीआइ टैग दिलाने के लिए बीते कई सालों से प्रयास किए जा रहे थे जोकि अब रंग लाए हैं।
जीआइ टैग से बनेगी विश्वभर में पहचान
जीआइ टैग से मुरैना की गजक की विश्वभर में नई पहचान स्थापित होगी। जीआई टैग को हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है। जियोग्राफिकल इंडीकेटर यानि जीआई क्षेत्रीय विशेष उत्पाद की ख्याति को प्रमाणित करने एवं उत्पाद को पहचान दिलाने एक प्रक्रिया होती है।
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