देश में पहली बार टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क में तैनात होंगे बाघ
भोपाल। अब प्रदेश के टाइगर रिजर्व और अभयारण्य की सुरक्षा बाघ रक्षक करते नजर आएंगे। शुरुआत में 11 टाइगर रिजर्व और अभयारण्य में 60-60 बाघ रक्षकों का सुरक्षा दस्ता तैनात किया जाएगा। इसमें सिर्फ आसपास के गांवों के युवा ही भर्ती हो सकेंगे।
5 साल तक फिजिकल फिटनेस और सीआर के आधार पर मूल्यांकन कर इन्हें नियमित किया जाएगा। देश में ऐसा पहली बार होगा, जब टाइगर रिजर्व और अभयारण्य में इस तरह की सुरक्षा ग्रामीणों के हाथ होगा। वन विभाग ने सेना की अग्निवीर योजना की तर्ज पर योजना तैयार की है।
इसलिए बनाई गई योजना
अभी भर्ती प्रक्रिया में फिजिकल के साथ शैक्षणिक योग्यता पर भी उतना ही जोर रहता है। भर्ती में पीएचडी से लेकर इंजीनियरिंग या अन्य बड़ी डिग्री वाले युवा भी शामिल होते हैं। नौकरी में आने के बाद करीब 10-15 प्रतिशत युवा अन्य नौकरी में चले जाते हैं।
बाघ रक्षक दल में शामिल युवाओं को उनके घर के आसपास के टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क में ही नौकरी दी जाएगी। वे क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के साथ लोगों से भी परिचित होते हैं। ऐसे में सुरक्षा करना आसान होगा। इससे ग्राम वन समितियों से जुड़े युवाओं को फायदा होगा। इन्हें ट्रेनिंग भी पोस्टिंग वाली जगह ही दी जाएगी।
जिला स्तर के युवाओं को नहीं मिलेगा मौका
भर्ती में चार चरणों में टेस्ट होगा। फिजिकल फिटनेस पर ज्यादा जोर रहेगा। इसमें सिर्फ 18-21 साल के युवाओं को ही मौका दिया जाएगा। न्यूनतम योग्यता 12वीं रखी जाएगी। शारीरिक अर्हता में 4 किमी पैदल चाल, 800 मीटर दौड़, ऊंची व लंबी कूद होगा। इसके 60 प्रतिशत अंक होंगे।
लिखित परीक्षा सिर्फ 40 प्रतिशत अंकों की होगी। इसमें जिलास्तर के युवा शामिल नहीं हो सकेंगे। पांच साल तक इन्हें 19500 रुपए वेतन मिलेगा। पांच साल तक मूल्यांकन के बाद नियमित किया जाएगा।
इन टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क के किया जाएगा शामिल
योजना में कान्हा, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के साथ माधव नेशनल पार्क, नौरादेही, चंबल घडियाल सेंचुरी, कूनो और रातापानी सेंचुरी को शामिल किया गया है। यहां 660 पदों पर भर्ती की योजना है। प्रदेश के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और सेंचुरी में अभी करीब 715 पद खाली हैं।
मध्यप्रदेश बाघ रक्षक दल-2023 की योजना तैयार की गई है। इसके तहत टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और सेंचुरी में 660 पदों पर भर्ती की योजना है। ग्रामीण भौगोलिक क्षेत्र से परिचित होते हैं। प्रस्ताव पर शासन को निर्णय लेना है।
- जेएस चैहान, पीसीसीएफ, वन्यप्राणी
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