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'बहनों की आंखों में एक भी आंसू न रहे, यही मेरा संकल्प'

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बहनों के चेहरे पर मुस्कुराहट आए, उनकी आंखों में एक भी आंसू न रहे, वह सशक्त एवं समृद्ध हों, यही मेरा संकल्प है। प्रदेश में चल रहे विकास और जनकल्याण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में स्वसहायता समूह की बहनों को मैं अपना सहयोगी बनाना चाहता हूं। मुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार को महिला स्व सहायता समूहों के संकुल स्तरीय संगठन अध्यक्षों से परिचर्चा के दौरान कही। इस मौके पर स्वसहायता समूहों की बहनों से चर्चा भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा, ईश्वर ने बेटा-बेटी को बराबर बनाया, लेकिन परिवार और समाज में बेटियों को दोयम दर्जे का माना गया। बेटियों का जन्म अभिशाप मना जाता था। राज्य सरकार ने इस वेदना और पीड़ादायी स्थिति को बदलने के प्रयास किए हैं, जिससे बेटी को बोझ नहीं वरदान समझा जाए।

जन्म लेते ही बेटी को लखपती बनाने वाली लाड़ली लक्ष्मी योजना हो या विवाह में सहायता के लिए मुख्यमंत्री कन्या दान योजना, यह प्रयास इसी सोच के परिणाम थे। हमारी योजनाएं महिलाओं के दर्द से निकली हैं। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आईं 800 संकुल स्तरीय संगठनों की अध्यक्षों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। शिवराज ने श्आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम- मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की दस वर्ष की यात्रा्य पुस्तक का विमोचन भी किया।

आजीविका स्टोर्स से ही लें जरूरत के सामान
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका मिशन को सशक्त बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी जरूरत का सामान आजीविका स्टोर्स से ही लें। प्रदेश में आजीविका स्टोर और दीदी कैफे की संख्या बढ़ाई जाएगी। प्रदेश को बढ़ाने और बनाने में आजीविका मिशन महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

महिलाओं के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के लिए ही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना आंरभ की गई है। बहनें अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें, इस उद्देश्य से 10 जून से प्रतिमाह एक हजार रुपए उनके खाते में डाले जाएंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना और जारी किए जा रहे पट्टे, पति-पत्नी दोनों के नाम से जारी किए जाएंगे।

रेलगाड़ी का सपना न देखने वाली बेटियां हवाई जहाज से गईं
कटनी की शकुन पटेल ने बताया कि समूह की ओर से क्षेत्र की बेटियों को रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिलवाया गया। इससे बेटियों को हैदराबाद में रोजगार मिला और रेलगाड़ी का सपना न देखने वाली बेटियां हवाई जहाज से हैदराबाद गईं। बालाघाट जिले की कुंदा चैधरी क्षेत्र में श्रोड रोलर वाली कुंदा्य के नाम से प्रसिद्ध हैं। समूह से जुडने पर उन्होंने एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई की। लोन लेकर दुकान का विस्तार किया, इससे उनकी आय बढ़ी। संकुल के सहयोग व बैंक लोन से समूह ने रोड रोलर खरीदा। वे इससे अबतक 20 सड़कें बनवा चुकी हैं। राजगढ़ जिले की अनिता दांगी ने बताया कि गांव का पैसा गांव में ही रहे इस उद्देश्य से गांव में संचालित होने वाले उपयुक्त व्यवसाय के संचालन का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाता है तथा यहां आर्थिक गतिविधि संचालित करने में हर प्रकार की सहायता, सहयोग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे संकुल स्तर पर करोड़ों का रोटेशन हुआ है।

यह भी बताया महिलाओं ने
- झाबुआ की मंजू कटारा ने क्षेत्र की महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए चालाई गई गतिविधि की जानकारी देते हुए बताया कि उनके समूह की कोई भी सदस्य अब अंगूठा नहीं लगाती हंै। उनके समूह ने नारी अधिकार मंच भी संचालित किया है।

- शहडोल के संकुल से जुड़ी रेखा बर्मन ने बताया कि महिलाओं को ऑडिट, बुक कीपिंग, रिकॉर्ड कीपिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे ये महिलाएं अन्य समूहों के ऑडिट में भी मदद कर रही हैं।

- आजीविका स्टोर तथा आजीविका मार्ट पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री के प्रचार-प्रसार तथा इनसे खरीददारी को प्रोत्साहित करने के लिए श्आजीविका के रंग -खुशियों के संग तथा नई उमंग्य नाम से लघु विज्ञापन फिल्में भी बनाई गई हैं।

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