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हड्डी चूकनाचूर होने पर नहीं टेंशन, नई टेक्निक से कम खर्च में होगा इलाज

भोपाल. हादसे के चलते कोहनी, कंधे जैसे जोड़ों की हड्डी चकनाचूर होने पर अब बड़ी सर्जरी नहीं होगी। एक छोटा चीरा लगा कर ही मरीज का इलाज कर दिया जाएगा। मप्र के सरकारी अस्पतालों में एडवांस नेलिंग टेक्निक का प्रयोग पहली बार किया जाएगा। इसके तहत रविवार को हमीदिया अस्पताल में एडवांस नेलिंग तकनीक से तीन मरीजों की सर्जरी होगी। यह जानकारी जीएमसी के ऑर्थोपेडिक विभाग के एचओडी डॉ. सुनीत टंडन ने इंडियन ऑर्थोपेडिक्स एसोसिएशन (आइओए) नेलिंग वर्कशॉप में दी। इस दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी मौजूद थे। वर्कशॉप में देशभर से 100 से ज्यादा डॉक्टरों ने भाग लिया।

 


हमीदिया में नेशनल फैकल्टी करेगी लाइव सर्जरी


व र्कशॉप के दूसरे दिन रविवार को हमीदिया अस्पताल में तीनों मरीजों की लाइव सर्जरी आइओए की नेशनल फैकल्टी के चार डॉक्टर करेंगे। इसमें एम्स दिल्ली से डॉ. विवेक त्रिखा व डॉ. कमरान फारूकी, सोलापुर से डॉ. बी शिवशंकर और चंद्रपुर से डॉ. डब्लू गाडेगोन शामिल हैं।

 


3 गुना कम दाम में वल्र्ड क्लास इलाज


ए डवांस नेलिंग वल्र्ड क्लास तकनीक है। इससे तीन गुना कम दाम में मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। निजी अस्पतालों में मल्टीपल फ्रैक्चर के इलाज में इस तकनीक से डेढ़ लाख के करीब का खर्च आता है। सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान योजना में मुफ्त और अन्य को 25 से 35 हजार का खर्च आएगा।


तकनीक से लाभ


-मरीज को कम दर्द होगा
-छोटे चीरे से जल्द होगी रिकवरी
-अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज होंगे मरीज
-रिस्क के चांस 30 फीसदी तक कम होगा
-प्रदेशभर के डॉक्टरों को ट्रेनिंग
-सिकुड़े हार्ट वॉल्व का इलाज भी बिना सर्जरी

उ म्र के बढऩे पर कई बार लोगों के हार्ट की एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ जाते हंै। ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। मरीज की सांस फूलती है। सीने में दर्द या बेहोशी होती है। सामान्यत: ऐसी स्थिति में ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती है। लेकिन, अब नयी तकनीक से हार्ट का वॉल्व ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) यानी टावर पद्धति से बिना सर्जरी बदला जा सकता है। मरीज को एक-दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। कॉर्डियो लॉजिस्ट डॉ. गौरव खंडेलवाल ने शहर में आयोजित एक सेमिनार में कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक सर्जन को यह जानकारी दी।


वर्कशॉप के अंतिम सेशन में नए व युवा डॉक्टरों को नेलिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके। हैंड ऑन वर्कशॉप में डॉक्टरों को ट्रायल के लिए बोन मॉडल दिए जाएंगे।


ईको कार्डियोग्राफी से होती है पहचान
बताया गया कि अब ईको कार्डियोग्राफी से मरीज की स्थिति का पता लगाकर टावर पद्धति से बिना सर्जरी हार्ट का वाल्व बदला जा सकता है। इसमें पैर की नस से तार के जरिए नए वाल्व को सिकुड़े वाल्व की जगह स्थापित किया जाता है। एंजियोप्लास्टी में स्टेंट डालने जैसी प्रक्रिया होती है। बढ़ी उम्र,कमजोरी या किडनी और फेफड़ों की बीमारियोंं वाले मरीजों में यह पद्धति बेहद कारगर है।



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