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इसी महीने हटेगा तबादलों से प्रतिबंध, होगी चुनावी जमावट

भोपाल। MP में सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के तबादलों से प्रतिबंध जल्द हट सकता है। मई के दूसरे-तीसरे हफ्ते में तबादले खोले जा सकते हैं। इसका फैसला सीएम शिवराज सिंह चैहान के स्तर पर होना है। फिलहाल तबादले कम समय के लिए खोले जाएंगे। तबादलों का आधार पुरानी नीति को ही बनाया जा सकता है। इसका सीधा लाभ राज्य के 4.50 लाख से ज्यादा नियमित कर्मचारियों को मिलेगा।

प्रदेश में पिछले साल 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया था। इस बार ग्रीष्मावकाश आते ही फिर से तबादलों की मांग उठने लगी। अब नवंबर में चुनाव होना है, इस कारण तबादलों की जरूरत जताई गई।

इस पर सीएम शिवराज सिंह चैहान ने भी प्रतिबंध हटाने के संकेत दिए थे। इसके तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयारी कर ली है। संभावना है कि मई के दूसरे या तीसरे हफ्ते से तबादले शुरू किए जाएं। इसमें केवल जरूरी तबादलों को ही करने की गाइडलाइन रहेगी। पिछले साल सरकार ने 2021 की नीति के आधार पर ही तबादले किए थे। इस बार भी 2021 की नीति के हिसाब से ही तबादले होने की उम्मीद है। सरकार अलग से नीति लाने की मंशा नहीं रखती।

मंत्रियों की मांग, सीएम की नसीहतें
तबादलों से प्रतिबंध हटाने के लिए अधिकतर मंत्री मांग कर चुके हैं। सीएम भी चुनाव के मद्देनजर बार-बार नसीहत दे चुके हैं कि तबादले खुलने पर गड़बड़ी पर नजर रखें। साथ ही छवि की भी चिंता करें। अब बुधवार को कैबिनेट बैठक होना है। इसमें भी इसका प्रस्ताव रखा जा सकता है।

बड़े विभागों में ज्यादा दिक्कतें
सबसे ज्यादा दिक्कतें बड़े विभागों में है, क्योंकि इन विभागों में तबादलों के लिए कर्मचारी चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मंत्रियों से मुलाकात तक नहीं हो पाती। बड़े विभागों में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, ग्रामीण विकास, बिजली और नगरीय प्रशासन जैसे विभाग हैं। इन विभागों में ही अधिकतर तबादले होने हैं।

पुलिस के तबादले
वहीं ये बात भी समाने आ रही है कि आगामी चंद दिनों में पुलिस थानों से जुड़े तबादले होने जा रहे है, जिसके तहत थाने के कर्मचारियों को लिस्ट आने के साथ ही इधर से उधर किया जाएगा।

चुनाव सबसे बड़ा फैक्टर
इस बार तबादलों के लिए चुनाव सबसे बड़ा फैक्टर है। छह महीने बाद नवंबर में चुनाव होना है, इसलिए मौजूदा सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी तबादला रहेगा। मंत्री भी इस कारण अपने हिसाब से विभागों में जमावट चाहते हैं।
इसके अलावा मंत्रियों के यहां पर बड़ी संख्या में पहले से आवेदनों का ढेर लगा है। चुनावी साल में मंत्री किसी को नाराज करना नहीं चाहते, इसलिए उसी हिसाब से तबादले होना है।
इससे बड़ा वर्ग प्रभावित होगा, इस कारण सरकार भी किसी को नाराज करे बिना स्वैच्छिक तबादलों को प्राथमिकता देना चाहती है।

इतने होने हैं तबादले- (2021 की पुरानी नीति के मुताबिक)
200 कर्मचारियों तक - 20 प्रतिशत तबादले
201 से 2000 कर्मचारियों तक - 10 प्रतिशत तबादले
2000 से ज्यादा कर्मचारी होने पर- 05 प्रतिशत तबादले



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