भोपालवासियों की धार्मिक आस्था से जुड़े हैं पेड़, उन्हीं के नाम से हैं गलियां और चौराहे
भोपाल. लेक सिटी, ग्रीन सिटी यूं ही हरियाली के लिए प्रसिद्ध नहीं है। यहां बहुत पहले से ही वृक्षों और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम हो रहा है। यहां के पेड़-पौधे और हरियाली धर्म से भी जुड़े हैं। शहर में कई धार्मिक स्थल हैं जो पेड़ों से जुड़े हैं। उनके नाम के पेड़ जुड़े हैं। तो शहर में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी मस्जिद हैं जो पेड़ों के नाम पर हैं। तो बड़वाले महादेव और पीपलेश्वर मंदिर भी यहां हैं।
सौ साल से पुरानी नीम वाली मस्जिद
जहांगीराबाद क्षेत्र में सौ साल से भी ज्यादा पुरानी नीम वाली मस्जिद है। इसके गेट पर नीम का पेड़ है। इसीलिए यही नाम पड़ गया। यह पूरी सड़क पेड़ के नाम से जानी जाती है। बाग दिलकुशा में इमली वाली मस्जिद है। हालांकि, अब यह पेड़ नहीं है। लेकिन नाम जिंदा है। जहांगीराबाद क्षेत्र में बरगद के पेड़ से बड़वाली मस्जिद है। तो आम के पेड़ के नाम आम वाली मस्जिद की पहचान है।
बड़ की जड़ से निकले थे महादेव
बड़वाले महादेव मंदिर बरगद के पेड़ से प्रसिद्ध है। जनश्रुति है बरगद के पेड़ की जड़ से शिवलिंग निकला था।
पीपलेश्वर में पीपल से घिरा शिवालय
पीपलेश्वर महादेव मंदिर नए शहर का प्रमुख शिवालय है। मंदिर के आसपास पीपल के छह बड़े प्राचीन पेड़ हैं, इसलिए इस मंदिर को पीपलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में बड़ और तीननीम के पेड़ भी है।
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शहर काजी मुश्ताक अली नदवी कहते हैं- दरख्तों की हिफाजत सभी को करना चाहिए। कई मस्जिदें दरख्तों के नाम पर हैं जो पेड़ों को बचाने का संदेश देती हैं।
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बड़वाले महादेव मंदिर से जुड़े प्रकाश मालवीय कहते हैं बड़ की जड़ से महादेव प्रकट हुए थे। इसी के चलते बड़वाले महादेव के नाम से मंदिर जाना जाता है। जो प्रकृति संरक्षण का संदेश देती है।
यह भी जानिए
शहर में पीपल के 2 हजार से ज्यादा पेड़ हैं
बरगद के लगभग 700 बड़े पेड़ हैं
सबसे पुराना पीपल का पेड़ कमला पार्क के पास 120 से 125 साल का
सबसे पुराना बड़ का पेड़ हाथीखाना में 140 साल पुराना
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