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सर क टट हडड क करण हई कशन बघ क मत


सागर. नौरादेही अभयारण्य के पहले बाघ एन-1 (किशन) की मौत को लेकर वन विभाग की बड़ी लापरवाहियां सामने आ रहीं हैं। बाघ किशन की मौत तो एन-3 से हुई झड़प में ही हुई है, लेकिन वन विभाग ने इस बात को दबाने का पूरा प्रयास किया है कि बाघ एन-1 (किशन) करीब एक साल से शिकार करने की स्थिति में ही नहीं था। उसके चार में से तीन कैनाइन दांत टूट चुके थे और वह मादा बाघिन-112 के सहयोग से शिकार करता था। यही कारण है कि बीते दिनों बाहरी बाघ एन-3 से हुई झड़प में वह कमजोर पड़ गया और एन-3 के हमले में किशन के सिर की हड्डी टूटने के साथ आंख व कान के पास बड़े घाव हो गए थे। जिसके बाद वह चलने-फिरने लायक तक नहीं बचा था। बाघ एन-1 को लेकर जिम्मेदार अधिकारी यदि लापरवाही नहीं बरतते तो शायद यह स्थिति निर्मित नहीं होती।

एन-3 को लेकर किए जा रहे दावे में प्रमाणिकता नहीं

नौरादेही अभयारण्य में मौजूद बाहरी बाघ एन-3 अभी तक वन अमले की पहुंच से दूर है। दोनों बाघों के आपसी संघर्ष के बाद से एन-3 अब तक नजर नहीं आया है। वहीं नौरादेही अभयारण्य के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि एन-3 उसी क्षेत्र में मौजूद है जहां पर बाघिन राधा व अन्य बाघ हैं। एन-3 के पग मार्ग मिलने, चीतल का शिकार करने और उसके दहाडऩे का भी दावा किया जा रहा है, लेकिन इस बात की प्रमाणिकता क्या है कि पग मार्ग और दहाड़ एन-3 की ही है इसको लेकर कोई प्रमाणिकता नहीं है, क्योंकि बाहरी बाघ एन-3 के संबंध में वन अमले के पास अभी तक कोई पुख्ता जानकारी ही नहीं है।

राधा के अलावा किसी को कॉलर आइडी नहीं पहनाई

नौरादेही अभयारण्य में 2018 में बाघों को बसाया गया था। इसके बाद सबसे पहले आए बाघ किशन और बाघिन राधा के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए उन्हें कॉलर आइडी पहनाई गई। इसके बाद बीते पांच साल में बाघ किशन के साथ बाघों का कुनबा बढ़कर 16 गया था और वर्तमान में 15 बाघ अभयारण्य में मौजूद हैं, लेकिन बाघिन राधा को छोड़कर किसी को भी कॉलर आइडी नहीं पहनाई गई है। राधा की कॉलर आइडी भी पुरानी होने के कारण उसकी सही लोकेशन वन अमले को नहीं मिल पाती है।

120 ट्रैकिंग कैमरों में केवल एक बार कैद हुआ एन-3

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नौरादेही में कुल छह रेंज हैं और प्रत्येक रेंज में 20 से 25 टै्रकिंग कैमरे लगे होने का दावा किया जा रहा है। इस हिसाब से देखें तो नौरादेही में बाघों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए 120 से ज्यादा ट्रैकिंग कैमरे लगे हैं। इसके बाद भी बाघ एन-3 इन ट्रैकिंग कैमरों में केवल एक बार कैद हुआ है वह भी ढाई साल पहले जनवरी 2021 में। इसके बाद वन विभाग के पास एन-3 के मूवमेंट के संबंध कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं।

एन-3 घायल मिला तो इलाज नहीं हो सकेगा

नौरादेही के पहले बाघ एन-1 किशन की मौत ने वन विभाग चिंता में डाल दिया है। अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि बाघों के बीच हुई झड़प में एन-3 भी घायल हो सकता है। इसी चिंता के चलते वन विभाग का अमला अब दिन-रात एन-3 की खोज में जुटा हुआ है, लेकिन वन विभाग यदि एन-3 को खोज भी लेता है तो उसका तत्काल इलाज नहीं हो सकेगा, क्योंकि वर्तमान में नौरादेही में न तो बाघ को ट्रेंक्युलाइज के लिए टीम है और ना ही इलाज के लिए विशेषज्ञ।

एक एसडीओ के भरोसे नौरादेही के 15 बाघ

नौरादेही अभयारण्य में 2018 में पहली बार बाघों को बसाया और पांच साल में इनकी संख्या बढ़कर 15 हो गई है। वन विभाग के अनुसार बाघों का मूवमेंट नौरादेही, सिंगपुर और झापन रेंज में बामनेर नदी से रमपुरा घाट, सतधारा घाट, चिकना नाला, कलुआ नाला, छोटा पीपला, विजनी और सिंगपुरी क्षेत्र तक 7 किलोमीटर एरिया में है, जबकि इनकी टेरेटरी के लिए बड़ा क्षेत्रफल चाहिए। अब जबकि लगातार कुनबे में वृद्धि हो रही है तो इनके एरिया को भी बढऩा होगा, नहीं तो आगे ये टकराव और अधिक बढऩे की संभावना है। वर्तमान में बाघों का विचरण अधिकांश जिस क्षेत्र में है वहां के एसडीओ का पद लंबे समय से खाली पड़ा है। बरमान एसडीओ का पद खाली होने से बहुत सी व्यवस्थाओं पर असर पड़ रहा है। फिलहाल रहली एसडीओ सेवाराम मलिक ही एकसाथ दोनों स्थानों का चार्ज संभाल रहे हैं और इन्हीं के भरोसे नौरादेही के 15 बाघ हैं।



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