एनटीसीए ने कहा: चीता की मौत रेडियो कॉलर इंफेक्शन से नहीं, पीएम रिपोर्ट के दावे ही सवालों के घेरे में - Web India Live

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एनटीसीए ने कहा: चीता की मौत रेडियो कॉलर इंफेक्शन से नहीं, पीएम रिपोर्ट के दावे ही सवालों के घेरे में

भोपाल। चीता सूरज की मौत के मामले में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन एथॉरिटी(एनटीसीए) ने वन विभाग के अफसरों के दावों के सिरे से खारिज कर दिया। डॉक्टर और अधिकारियों का कहना था कि चीता सूरज की मौत कॉलर आइडी के कारण त्वचा में आई नमी के इंफेक्शन के बाद हुई। एनटीसीए ने रविवार को ट्वीट कर बताया कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से पांच की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। रेडियो कॉलर जैसे कारकों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली खबरें अफवाहों पर आधारित हैं।

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सभी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई

एनटीसीए के अनुसार चीता परियोजना में बचाव, पुनर्वास, क्षमता निर्माण सुविधाओं के साथ चीता अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी शामिल है। प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार सभी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं। चीतों की मौत के कारणों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों तथा दक्षिण अफ्रीका तथा नामीबिया के पशु चिकित्सकों के साथ परामर्श किया जा रहा है। परियोजना के निगरानी प्रोटोकॉल, सुरक्षा उपाय, प्रबंधकीय सूचना, पशु चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलुओं की भी स्वतंत्र राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जा रही है। चीता परियोजना अभी भी प्रगति पर है और एक साल के भीतर इसकी सफलता या विफलता का आकलन करना जल्दबाजी होगा। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र की चीता परियोजना संचालन समिति परियोजना की प्रगति की बारीकी से निगरानी कर रही है और इसके क्रियान्वयन पर संतुष्ट है।

फ्रंटलाइन स्टाफ की तैनाती की जाएगी

मंत्रालय ने कहा कि अतिरिक्त वन क्षेत्रों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया जाएगा। साथ ही अतिरिक्त फ्रंटलाइन स्टाफ की तैनाती की जाएगी और एक चीता सुरक्षा बल की स्थापना की जाएगी।



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