नंबर बढ़वाने,वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के झांसे में आए तो हो जाएंगे कंगाल
भोपाल. क्या आपको भी मप्र बोर्ड के रिजल्ट का इंतजार है। आप भी प्रदेश के उन १६ लाख स्टूडेंट्स में शामिल हैं जो रिजल्ट को लेकर कुछ न कुछ इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं। यदि ऐसा है तो सावधान हो जाएं। आप साइबर फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं। रिजल्ट १५ से २० अप्रेल के बीच आ सकता है। लेकिन इस समय साइबर अपराधी आपको परीक्षा में पास करवाने या नंबर बढ़वाने का झांसा देकर ठग सकते हैं। बोर्ड परीक्षार्थिंयों के अलावा लोकसभा चुनाव में वोटर बनने, घर के पास पोलिंग बूथ में मतदान की सुविधा दिलाने या फिर मतदान से जुड़ी अन्य जानकारियों के संबंध में भी साइबर अपराधी विभिन्न नंबरों से कॉल कर साइबर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इसलिए सतर्क रहें।
टारगेट पर 10वीं-12वीं के विद्यार्थी
इन दिनों ऑनलाइन ठगों के निशाने पर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी हैं। ठग उन्हें बोर्ड परीक्षा में पास कराने की बात करके फंसा रहे हैं। दो विषय में फेल होने पर पांच हजार रुपए में पास करने के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं। ठग इसके लिए फोन नंबर देकर गूगल पे और फोनपे के माध्यम से ऑनलाइन पैसा भेजने को कहते हैं।
बीएलओ के नाम पर भी फोन
समय, सीजन और आयोजन के हिसाब से अपराध का तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। इन दिनों लोकसभा चुनाव को लेका भी इंटरनेट सर्च बढ़ गयी है। मतदाता सूची अपडेट करने, नाम जुड़वाने, पोलिंग बूथ तलाशने आदि के लिए लोग सर्चिंग कर रहे हैं। वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने या फिर पास के वोटिंग बूथ में नाम जोडऩे के लिए बीएलओ के नाम पर साइबर ठगों द्वारा बैंक अकाउंट मांगा जा रहा है। इसलिए पुलिस ने आगाह किया है स्कैमर्स के झांसे में न आएं। हर कॉल और मैसेज की जांच के बाद भी कोई कदम उठाएं। अन्यथा ठगी के शिकार हो सकते हैं।
ब्याज जुड़वाने का झांसा, उड़ गए 1.19 लाख
गोविंद गार्डन की सुत्री वर्गीस के मोबाइल नंबर पर 4 अप्रेल एक वीडियो कॉल आयी। जालसाज ने बैंक खाते में ब्याज दिलाने का झांसा देकर एक नंबर एक्टिवेट कराया। इसके बाद जालसाज ने ब्याज दिलवाने के बहाने ओटीपी नंबर पूछकर खाते से 1.19 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए। साइबर क्राइम पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जागरुकता ही बचाव
साइबर फ्रॉड से बचने का एकमात्र तरीका साइबर जागरुकता और लालच से दूर रहना है। किसी भी अनजान वीडियो या आडियो काल से बचें। ओटीपी नंबर शेयर न करें। कई बार साइबर अपराधी एनी डेस्क पर मोबाइल को लेकर जरूरी जानकारियां हासिल कर लेते हैं। इसलिए इन गतिविधियों से बचें।
शैलेंद्र सिंह चौहान, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच
ग्राहक और बैंक दोनों बरतें सतर्कता
साइबर फ्रॉड को ग्राहक, बैंक और पुलिस मिलकर रोक सकते हैं। इसलिए तीनों में सामंजस्य जरूरी है। बैंक और पुलिस ग्राहक जागरुकता अभियान चलाएं। ग्राहम अपना डाटा और जानकारी किसी से शेयर न करें। प्रलोभन और धमकी वाले मैसेज से बचें। अनजाने नंबर और लिंक पर क्लिक न करें तो फ्रॉड से बच सकते हैं।
ओम प्रकाश बुधौलिया,सेवानिवृत्त बैंक एग्जीक्यूटिव
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