कर्ज माफी से बिगड़े हालात: 31 मार्च तक नाबार्ड को 2400 करोड़ न लौटाने पर डिफाल्टर हो सकती है अपेक्स बैंक - Web India Live

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कर्ज माफी से बिगड़े हालात: 31 मार्च तक नाबार्ड को 2400 करोड़ न लौटाने पर डिफाल्टर हो सकती है अपेक्स बैंक


भोपाल। किसान ऋण माफी के चलते सहकारी बैंकों से लेकर समितियों की हालत खराब है। अब इस सब के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक माह के अंदर अपेक्स बैंक को 24 सौ करोड़ रूपए का लोन नाबार्ड को चुकाना है। यदि अपेक्स एेसा करने में नाकाम होती है तो उसके डिफाल्टर होने की संभावना बढ़ जाएगी।
एेसे में नाबार्ड से अगले वित्तीय वर्ष में पैसा न मिलने पर सहकारी समितियों से किसानों को अगले साल फसल ऋण भी मिलना मुश्किला हो जाएगा।

कांग्रेस सरकार की ऋण माफी योजना में भले ही किसानों की स्थिति बेहतर हुई हो, लेकिन समितियों की हालत पतली हो रही है। सहकारी समितियां बंद होने की कगार में आ गई हैं।
प्रदेश की साढ़े चार हजार समितियों को इस योजना से साढ़े 47 सौ करोड़ रुपए की चपत लग रही है। इस चपत से उनके खजाने पर सीधा असर पड़ेगा, इससे साढ़े तीन हजार से अधिक समितियां डिफाल्टर हो जाएंगी। यह समितियां जून-जुलाई तक इस स्थिति में नहीं होगी कि वे किसानों को लोन दे सकें।
ये उस हैंसियत में भी नहीं रहेगी कि डिपाजिटरों का पैसा समय पर उन्हें वापस कर सकें। गौरतलब है कि सरकार ने किसान ऋण माफी योजना में सरकर ने उन्हें पचास फीसदी राशि खुद सरकार की तरफ से बहन करने के लिए कहा है।

बैंक भी हो जाएंगे डिफाल्टर
समितियां जब तक सहकारी बैंकों को लोन नहीं चुकाएंगी तब तक बैंकों की स्थिति खराब रहेगी। करीब 30 सहकारी बैंकें डिफाल्टर होने की कगार पर आ जाएंगी। वर्तमान में आठ सहकारी बैंक डिफाल्टर हैं, जिनमें मुरैना, होशंगाबाद, रायसेन, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, सतना और रीवा सहकारी बैंक शामिल है।
इन बैंकों में वसूली पिछले पांच साल से लगातार कम हो रही है, यह बैंक २० फीसदी से अधिक वसूली नहीं कर पा रहे हैं। समाधान योजना में भी इसकी स्थिति बेहतर नहीं रही है।

ऐसे लगेगी समितियों को चपत
नाबार्ड से हर अपेक्स बैंक लोन लेता है। यह राशि अपेक्स बैंक सभी सहकारी बैकों ब्याज पर को देता है। सहकारी बैंकों से 11 प्रतिशत ब्याजदर पर समितियों को लोन उपलब्ध कराया जाता है।
सहकारी बैंकों को सबसे भारी ब्याज की राशि 1870 करोड़ पड़ रही है। बताया जाता है कि सरकार सिर्फ किसानों का मूल राशि माफ कर रही है। लोन की राशि समितियों को बैंकों में जमा करना पड़ेगा।

इस फार्मूले से बिगड़ रहा गणित
सरकार डिफाल्टर किसानों का 50 फीसदी राशि खुद देगी और 50 फीसदी समितियों को देने के लिए कहा है। इसमें यह फंडा तय किया गया है कि किसानों की जो भी राशि एनपीएस के दौरान बन रही थी, उसकी आधी राशि सरकार देंगे।
इसके बाद अभी तक की ब्याज राशि और एनपीएस के दौरान की 50 फीसदी राशि समितियों को देना पड़ेगा। प्रदेश में करीब 8 हजार 600 करोड़ रूपए ओवर आेवर ड्यूट करीब बीस साल से हैं। किसान ऋण माफी के लिए सहकारी बैंकों को अभी तक सरकार ने पांच सौ करोड़ रूपए दिए हैं



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