अक्षय तृतीया के दिन इनके दर्शन मात्र से जीवन की बाधाएं हो जाती है खत्म
प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बिना किसी पंचांग या शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते हैं। साल 2019 में अक्षय तृतीया का पर्व 7 मई दिन मंगलवार के दिन मनाया जायेगा। अगर किसी के जीवन में कोई बाधाएं बार-बार आ रही है तो इस इनके दर्शन मात्र से लाभ होने लगता है।
1- भविष्य पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है।
2- सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया तिथि से ही हुआ है।
3- अक्षय तृतीया तिथि के दिन ही भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में अवतार लिया था।
4- हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।
5- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।
6- अक्षय तृतीया के दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है।
7- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं।
8- अक्षय तृतीया के दिन भगवान लक्ष्मी नारायण के दर्शन मात्र से जीवन की समस्त बाधाएं खत्म होने लगती है।
9- अक्षय तृतीया तिथि के दिन ही साल में केवल एक बार वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष भर वस्त्रों से ढके रहते हैं।
10- अक्षय तृतीया के दिन 41 घटी 21 पल होती है।
11- धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए।
12- पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए।
13- अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।
14- द्वापर युग का समापन भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था।
15- अक्षय तृतीया के दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।
मदनरत्न में कहा भी गया है-
“अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं।
तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः।
तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव।।
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