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शरीर को स्वस्थ रखते हैं ये विटामिन्स और मिनरल्स, ऐसे पूरी हो जाएगी कमी

भोपालः इंसान की उम्र के साथ उसके शरीर में भी बदलाव आते रहते हैं। इंसान की जवानी तक तो उसका शरीर ही हर विटामिन और मिनिरल बनाकर उसकी पूर्ति करता है, लेकिन जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, उसके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों के बनाने की क्षमता घटती जाती है। कुछ सालों से बढ़ा बाहर के खाने का चलन और दिन चर्या में बिगाड़ के कारण शरीर में बनने वाली ऊर्जा काफी तेजी से घटती है।अगर इसपर समय रहते ध्यान ना दिया जाए तो परिणाम स्वरूप हमारा शरीर समय के साथ साथ कमजोर पड़ने लगता है और संभवतः किसी भी बीमारी की चपेट में आ सकता है।

विटामिंस ना सिर्फ हमारे शरीर को पोषण प्रदान करते हैं, बल्कि ये शरीर को रोगमुक्त बनाए रखते हैं। शरीर को ये जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स रोजमर्रा के आहार से मिलते हैं, यानी अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए हमें पौष्टिक भजन खाना होगा। आमतौर पर 40 की उम्र के बाद व्यक्ति के चेहरे का तेज जाता हुआ दिखने लगता है, हालांकि अगर ध्यान ना दिया जाए तो इसकी शुरुआत 30 की उम्र पार करने के बाद ही हो जाती है। अगर आप खुद को लेकर फिक्रमंद हैं और चाहते हैं कि, आपका शरीर लंबे समय तक रोगमुक्त रहे तो आपको खाने के माध्यम से शरीर में इन विटामिन्स और मिनिरल्स की पूर्ति करते रहना होगी। आइये जाने उनके बारे में...।


-विटामिन B-12

विटमिन B-12 शरीर कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत करने का काम करता है। यह हमारे दिमाग , स्पाइनल कॉर्ड और नर्वस सिस्टम के कुछ खास तत्वों की रचना भी करता है। ये हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल भी बनाता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का भी काम करता है। यह ऐसा विटमिन है, जिसका अवशोषण हमारी आंतों में होता है। वहां लैक्टो बैसिलस (फायदेमंद बैक्टीरिया) मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर में B-12 बनाते हैं। B-12 बनने के बाद ये लीवर में इकट्ठा हो जाता है। यहां से लीवर इसे आवश्यक जगह पर भेजता है।

स्रोत- हालांकि मांसाहारी पदार्थों में विटामिन बी कॉम्पलेक्स की भरपूर मात्रा होती है, लेकिन, शाकाहार का सेवन करने वाले लोग भोजन के साथ डेरी उत्पादों का सेवन भरपूर मात्रा में करते हैं, तो भी इसकी लगभग पूर्ति हो जाती है। इन डेरी उत्पादों में दूध, दही, पनीर, चीज, मक्खन, सोया मिल्क के सेवन से शरीर में विटामिन B-12 का प्रवाह बढ़ता है। साथ ही, जमीन के अंदर ऊगने सब्जियां जैसे आलू, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि में भी विटामिन B पाया जाता है।


-विटामिन D

विटामिन D हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। ये हड्डियां ही नहीं शरीर के मसल्स समेत अन्‍य अंगों के लिए भी बहुत जरूरी पोषक तत्‍व है। यह वसा में घुलनशील प्रो-हार्मोन्स का एक समूह होता है जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों तक पहुंचाता है। शरीर में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है। इसके अलावा शरीर में रसायन कोलिकल कैसिरॉल पाया जाता है, जो खाने के साथ मिलकर विटामिन-D का प्रवाह करता है। केल्शियम की कमी से हमारे बाल कम उम्र में ही सफेद होने लगते है, झड़ने लगते हैं, आखों की रोशनी कम होोने लगती है आदि, जो आज के समय में नई जनरेशन के सामने एक विकराल समस्या बनती जा रही है।

स्रोत- सबसे ज्यादा विटामिन-D का प्रवाह सुबह तड़के सूरज की किरणों से निकलता है, अगर सुबह सूरज निकने से ठीक पहले उठकर करीब 15 मिनट तक सूरज की रोशनी के सामने और पीछे खड़े हो गए, तो शरीर के लिए जरूरी विटामिन-D आपको मिल सकता है। हरी सब्जियों के अलावा मांसाहार में अंडे, मछली, दूध में पर्याप्त मात्रा में मिल जाएगा।


-कैल्शियम

शरीर में कैल्शियम की कमी हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को कमजोर करती है। शरीर को कैल्सियम की आवश्‍यकता उम्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। महिलाओं के लिए 50 साल की उम्र तक नियमित रूप से 1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्‍यकता होती है, 50 साल के बाद इसकी मात्रा बढ़ाकर 1200 कर देना चाहिए। वहीं पुरुषों को 70 साल तक 1000 मिग्रा नियमित और 70 साल के बाद 1200 मिग्रा नियमित रूप से कैल्शियम की जरूरत होती है।

स्रोत- आहार कैल्सियम का सबसे अच्‍छा स्रोत हैं। निम्‍न वसायुक्‍त आहार और दूध के उत्‍पादों से शरीर को पर्याप्त कैल्सियम मिलता है। ताजी और पत्‍तेदार सब्जियां, सोयमिल्‍क, साबुत अनाज, अंडा, आदि कैल्शियम के स्रोत हैं।


-मैग्नीशियम

भोजन में मैग्नीशियम की पर्याप्त आपको कई रोगों से बचाकर रखती है। मुख्य रूप से इसकी कमी के कारण आजकल की आम बीमारी डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। मैग्नीशियम की कमी से आपको धमनी संबंधी रोग, डायबटीज, अर्थाराईटिस जैसी समस्या हो सकती है। हमारे शरीर में होने वाली एंजाइम प्रतिक्रिया के लिए मैग्नीशियम जिम्मेदार है। इसकी कमी से शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं पर असर पड़ सकता है।

स्रोत- हरी पत्तेदार सब्जियां , साबुत अनाज, अखरोट, मूंगफली, बादाम, काजू, सोयाबीन, केले, खुबानी, कद्दू, दही, दूध, चॉकलेट और तुलसी के नियमित सेवन से आप शरीर में मैग्नीशियम की पूर्ति करता है।


-ओमेगा-3

ओमेगा 3 फैट्स, कॉन्जुगेटड लिनोलेक एसिड और गामा लिनोलेनिक एसिड जैसे कुछ फैट होते हैं जो शरीर के हार्मोन्स में बदलाव कर भूख को कम करते हैं और डाइटिंग करने में भी मददगार होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करता है। यह धमनियों के फैलने में सहायक होता है, जिससे उनमें रक्त प्रवाह ठीक ढंग से हो पाता है और एन्जाइम्स फैट को आसानी से शरीर में घुलने में मदद करते हैं, जिससे इंसान का मेटाबॉलिज्म मज़बूत होता है।

स्रोत- अलसी के बीज, अखरोट, ब्लूबेरी, राई का तेल, सोयाबीन, सालमन मछली और सीफूड जैसे, प्रॉन, झींगा, सीप आदि में काफी मात्रा में ओमेगा-3 पाया जाता है, जिसके नियमित सेवन से आप शरीर में इसकी पूर्ति कर सकते हैं।



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