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दिग्गजों के सामने खड़ी नारी शक्ति, बदल रहीं राजनीति की फिजा

भोपाल@अरुण तिवारी की रिपोर्ट...
लोकसभा 2019 के चुनाव शुरू हो चुके है, मध्यप्रदेश में इन चुनावों का पहला चरण 29 अप्रैल 2019 यानि कल होगा। इस बार चुनाव को लेकर जहां कांग्रेस अपनी पूरी तैयारी के साथ मैदान में आ डटी है। वहीं 2019 में होने वाले इन चुनावों में बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं को उलझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

एक ओर जहां इस बार विधानसभा से उत्साह में आई कांग्रेस भाजपा को केंद्र से भी उखड़ने के लिए तमाम तरह की कोशिशों में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर भाजपा अपनी रणनीति से पुन: केंद्र की सात्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस के दिग्गजों को हराने की तैयारी में व भाजपा से रूठी मप्र की जनता को वापस मनाने में जुटी हुई है।

 

इन्हीं सब के बीच इस बार का लोकसभा चुनाव महिलाओं की अहमियत और ताकत को स्थापित करने के लिहाज से महत्पूर्ण माना जा रहा है।

इस बार कांग्रेस और भाजपा ने खास रणनीति के तहत महिलाओं को चुनावी दंगल में उतारा है। टिकट भले ही उनको अपेक्षाकृत कम मिली हैं लेकिन जिस भी सीट से उनको उम्मीदवार बनाया गया है वो खास मायने रखती है।

दोनों ही दलों ने दिग्गज नेताओं के सामने महिला उम्मीदवारों खड़ा किया है। प्रदेश की सात लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर महिला उम्मीदवारों के सामने बड़े चेहरे हैं।

 

 

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2019 election

वहीं अब इन महिला उम्मीदवारों से मुकाबले में दिग्गजों को पसीना छूट रहा है। एक ओर जहां कुछ की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वहीं दूसरी ओर किसी के राजनीतिक भविष्य का सवाल बना हुबा है। प्रदेश में सिर्फ एक सीट ही ऐसी है, जहां दो महिलाओं के बीच मुकाबला है। शहडोल में चुनाव भाजपा की हिमाद्री सिंह जीतें या कांग्रेस की प्रमिला सिंह लोकसभा तो एक महिला का जाना तय है।


1. प्रज्ञा की दिग्विजय को चुनौती :
सबसे बड़ा चुनावी दंगल भोपाल लोकसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले और दस साल तक सूबे के मुखिया रहे कांग्रेस के सबसे चेहरे दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा की साध्वी प्रज्ञा की चुनौती है।

साध्वी ने अचानक राजनीतिक मुकाबले में शामिल होकर चुनावी परिदृश्य ही बदल दिया। दिग्विजय दिन-रात एक कर इस चुनौती से पार पाने की कोशिशों में जुटे हैं।

 

2. रीति बनी अजय की नियति :
सीधी सीट इस बार जीत के लिए टेढ़ी कील साबित हो रही है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विंध्य के सबसे बड़े कांग्रेसी चेहरे अजय सिंह से भाजपा की रीति पाठक मुकाबला कर रही हैं। रीति को दूसरी बार लोकसभा जाना है तो अजय सिंह की प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य का सवाल है। रीति ने अजय सिंह को कड़ी चुनौती दी है।

 

3. खटीक के सामने उम्मीद की किरण :
भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का कड़ा मुकाबला कांग्रेस की किरण अहिरवार से है। अहिरवार कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई हैं। भले ही उनका राजनीतिक अनुभव वीरेंद्र खटीक के सामने बहुत थोड़ा हो लेकिन उनकी सक्रियता ने खटीक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये सीट खटीक के लिए अब पिछली बार की तरह आसान नहीं रही है।

 

 

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4. रोडमल की राह में रोड़ा मोना सुस्तानी :
राजगढ़ पर इस बार राज करना भाजपा के रोडमल नागर के लिए मुश्किल होता जा रहा है। उनसे मुकाबले के लिए कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को उतारा है। मोना की उम्मीदवारी से नागर के माथे की सलवटें गहरी हो गई हैं। इस बार का धाकड़ उम्मीदवार कौन है ये कहना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। मोना राजनीति में नई हैं लेकिन उनका परिवार का सियासत से पुराना रिश्ता है। ये परिवार दिग्विजय सिंह के करीबी भी माना जाता है।

 


5. नटराजन करा रहीं सियासी नाच :
मंदसौर में अपनों की चुनौती से जूझ रहे भाजपा के सुधीर गुप्ता को कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन भारी पड़ रही हैं। पिछले चुनाव में सुधीर गुप्ता ने ही मीनाक्षी नटराजन को हराया था, इस बार मीनाक्षी पिछली हार का बदलना लेना चाहती हैं। सुधीर गुप्ता जनता के सामने मोदी का नाम ले रहे हैं तो मीनाक्षी उनके न्याय दिलाने का दम भर रही हैं।

 

6. संगठन के सामने सियासत की रानी :
खजुराहो में सीधा मुकाबला संगठन और सियासत का है। संघ,छात्र संगठन से लेकर भाजपा के संगठन में प्रभाव जमाने वाले वीडी शर्मा पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, पहले ही चुनावी मुकाबले में वे राजपरिवार की कविता सिंह की रियासत की सियासत में उलझ गए हैं।

उनका विरोध अपनों से भी है। ऐसे में कविता अपने पति विक्रम सिंह नातीराजा के साथ धुआंधार प्रचार कर वीडी शर्मा की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। वीडी के लिए नया क्षेत्र है, जबकि कविता सिंह यहीं की निवासी हैं।

 


7. देवाशीष के सामने संध्या राय :
कांग्रेस के देवाशीष जरारिया और भाजपा की संध्या राय दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। देवाशीष अनुसूचित जाति के युवा नेता माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी शैली से राजनीति में नाम कमाया है। उनकी राह को संध्या ने मुश्किल किया हुआ है। भिंड सीट पर ये दिलचस्प मुकाबला है। कांग्रेस देवाशीष के सहारे सीट छीनना चाहती है, तो भाजपा संध्या के जरिए सीट बचाना चाहती है।



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