प्रत्यक्ष के चक्कर में अप्रत्यक्ष चुनावों से भी वंचित रह गए प्रदेश के 11.78 लाख छात्र
भोपाल। नया सत्र शुरू हुए चार माह बीत चुके हैं लेकिन अब तक प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव को लेकर उ'च शिक्षा विभाग की ओर से कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। विभाग के अकादमिक कैलेंडर के मुताबिक यह चुनाव अगस्त-सितंबर के बीच होने चाहिए थे लेकिन नवम्बर शुरू होने के बावजूद भी चुनाव होना मुश्किल दिख रहा है।
जिसकी वजह से प्रदेश के 1257 महाविद्यालयों के 11 लाख 78 हजार विद्यार्थी प्रभावित होंगे। अगर नवम्बर में भी चुनाव की घोषणा होती है दिसम्बर में चुनाव होंगे और नए छात्रसंघ पदाधिकारियों को महज तीन महीने का कार्यकाल मिलेगा। इसके अलावा प्रवेश प्रक्रिया के कारण पहले से पिछड़ा अकादमिक कैलेंडर और अधिक पिछड़ जाएगा। वहीं विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 6 नवम्बर को मंत्री की अधिकारियों के साथ बैठक है, इस बैठक में छात्रसंघ चुनावों पर बात होने की संभावना जताई जा रही है।
विभाग और मंत्री के पास पुख्ता जवाब नहीं, खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं छात्र
हालांकि चुनावों को लेकर प्रमुख सचिव हरिरंजन राव कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। वहीं उ'च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी महज जल्द चुनाव कराने की बात कह रहे हैं। इधर, छात्रसंघ चुनावों को लेकर मौजूदा सरकार व उ'च शिक्षा विभाग के रवैए को देखते हुए महाविद्यालयों में अब इस बात पर चर्चा हो रही है कि प्रत्यक्ष की चाह में छात्रों को इस साल अप्रत्यक्ष प्रणाली चुनावों से भी वंचित रहना पड़ेगा।
जितनी देरी होगी उतना ही बिगड़ेगा अकादमिक कैलेंडर
शिक्षाविदों के मुताबिक सत्र 2011-12 में चुनाव नहीं हुए थे, इसके बाद पांच साल बाद सत्र 2017-18 के लिए कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव दो चरणों में हुए थे। इसकी प्रक्रिया 2& अक्टूबर से शुरू गई थी। वहीं निजी कॉलेजों के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद शासन को अलग से चुनाव कराने पड़े थे। सत्र 2017-18 में तय समय पर और दो चरणों में चुनाव होने का असर अकादमिक कैलेंडर पड़ा था। इसके कारण परीक्षाएं और उनके रिजल्ट भी पिछड़ गए थे। इस बार अब नवम्बर-दिसम्बर में जहां पीजी सेमेस्टर एग्जाम हैं वहीं मार्च में यूजी कोर्सेज की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी।
अब एनएसयूआई के तेवर भी सख्त
छात्रों को उनका अधिकार मिलना चाहिए, अगर जल्द छात्रसंघ चुनाव नहीं होते हैं तो हम सरकार को उसके वचन पत्र का वचन याद दिलाने के सड़क पर उतरने से भी नहीं चूकेंगे। छात्र हित के लिए हमें अगर अपने परिवार से भी लडऩा पड़ा तो लडेंगे। - विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, एनएसयूआई
हमें लगता है शायद मप्र सरकार दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के चुनाव परिणाम देखकर घबरा गई है। इसलिए अब तक प्रत्यक्ष चुनाव के बारे में स्थिति साफ नहीं की है। 15 नवम्बर के बाद एबीवीपी छात्रसंघ चुनाव को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन करेगा। - नीलेश सोलंकी, प्रांत मंत्री, एबीवीपी मप्र
छात्रों को उनका अधिकार मिलना चाहिए, अगर जल्द छात्रसंघ चुनाव नहीं होते हैं तो हम सरकार को उसके वचन पत्र का वचन याद दिलाने के सड़क पर उतरने से भी नहीं चूकेंगे। छात्र हित के लिए हमें अगर अपने परिवार से भी लडऩा पड़ा तो लडेंगे। - विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, एनएसयूआई
हमें लगता है शायद मप्र सरकार दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के चुनाव परिणाम देखकर घबरा गई है। इसलिए अब तक प्रत्यक्ष चुनाव के बारे में स्थिति साफ नहीं की है। 15 नवम्बर के बाद एबीवीपी छात्रसंघ चुनाव को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन करेगा। - नीलेश सोलंकी, प्रांत मंत्री, एबीवीपी मप्र
इस संबंध में हमारी उ'च शिक्षा मंत्री ने बात हुई थी उन्होंने जल्द ही प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की बात कही थी लेकिन अब तक तारीख का अता-पता नहीं है। जल्द ही हम ज्ञापन देंगें, फिर भी बात नहीं बनी तो छात्रहितों के लिए सड़कों पर उतरेंगे। - अनूप दांगी, संरक्षक, भगत क्रांति दल
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