बिजली पर अंधेरगर्दी : शिवराज सरकार का घाटा अब कमलनाथ सरकार के माथे, 1.20 करोड़ जनता पर बढ़ेगा बोझ
भोपाल/ प्रदेश के 1.20 लाख लोगों की जेब पर बड़ा डाका डालने की तैयारी हो गई है। दरअसल, पिछले चार सालों में तत्कालीन शिवराज सरकार ने जो दरियादिली दिखाई, वो अब कमलनाथ सरकार और जनता को भारी पडऩे वाली है। पुराने चार सालों का घाटा बिजली कंपनियों ने अब विद्युत नियामक आयोग के सामने पेश कर दिया है। इनमें से तीन साल तो दाम बढ़ाए भी गए थे,
लेकिन बिजली कंपनियों ने अब ट्रू-अप का खेल खेलकर घाटे की रिकवरी का दावा पेश कर दिया है। विद्युत नियामक आयोग खुद भी इससे हैरान है, क्योंकि चार सालों का घाटा 24 हजार करोड़ से ज्यादा बताया गया है। इसमें आधा भी मान लिया, तो उपभोक्ताओं पर बड़ी गाज गिरना तय है। फिलहाल आयोग ने 7 दिसंबर को कंपनियों के इस दावे पर सुनवाई करने का फैसला लिया है।
ट्रू-अप का खेल ऐसा-
दरअसल, बिजली कंपनियां आगामी साल के खर्च व वसूली के अनुमान के आधार पर दर वृद्धि का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को पेश करती है। इस पर सुनवाई के बाद आयोग दर-वृद्धि मंजूर करता है। कंपनियां बढ़ी हुई दर से दाम वसूलती है। फिर जब पूरा साल बीत जाता है, तो वह वसूली और पूरे खर्च का ट्रू-अप प्लान पेश करती है। इसमें बताती है कि उसके कितने खर्च हुए और कितनी वसूली की गई।
खर्च व वसूली में अंतर आने पर ट्रू-अप प्लान में पुराने घाटे की रिकवरी के लिए नए साल में फिर अतिरिक्त दर बढ़ाने की मांग करती है। यह मांग सालाना दर वृद्धि प्रस्ताव के अलावा होती है। बिजली कंपनियों ने इसी ट्रू-अप नियमों का फायदा उठाकर अब पिछले 4 साल के डाटा पेश कर दिए हैं, जिनमें 24 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा बताकर रिकवरी मांग ली है।
अजब-गजब : 3 तरफ से दर-वृद्धि
उपभोक्ताओं पर दर-वृद्धि के लिए बिजली कंपनियों ने तीन तरफा तैयारी की है। सबसे पहले इन पुराने चार सालों का 24 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा बताकर दर वृद्धि मांग ली। उस पर अभी वित्तीय वर्ष 2020-21 की दर वृद्धि का प्रस्ताव अलग पेश करना है, जिसकी अंतिम तारीख 30 नवंबर है। यह दर वृद्धि 1 अप्रैल 2020 से होना है। इतना ही नहीं, फ्यूल कास्ट एडजमेंट (एफसीए) मॉडल पर तिमाही दर वृद्धि अलग एक जनवरी 2020 से होना है। इसका चार्ट लगभग फायनल हो चुका है। इस मॉडल में हर तीन महीने में दर वृद्धि की जाती है।
आयोग भी हैरान-परेशान-
सबसे बड़ी बात ये कि 24 हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे का दावा आने से आयोग के स्तर पर भी हैरानी व परेशानी है। सूत्रों के मुताबिक आयोग उलझन में है कि यदि इसमें से आधा घाटा भी मंजूर किया, तो दर वृद्धि रिकार्ड तोड़ देगी। हर साल औसत चार हजार करोड़ का बोझ ही उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाए, तो दाम में सात से आठ फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो जाती है। यदि 4 सालों के घाटे का 24 हजार करोड़ का 50 फीसदी यानी 12 हजार करोड़ भी माना, तो दर वृद्धि 21 से 24 फीसदी तक पहुंच जाएगी, उस पर सालाना दर वृद्धि का प्रस्ताव अलग रहेगा।
कभी न पटने वाली खाई-
बिजली कंपनियां हर साल औसत चार हजार करोड़ का घाटा बताकर दर वृद्धि मांगती है। विद्युत अधिनियम 2003 के तहत 2008 तक घाटा रिकवर होना था, लेकिन घाटे की खाई कभी पट नहीं रही। विद्युत मंडल भंग करके कंपनियां बनी, लेकिन यह कंपनियां भी लगातार घाटे में हैं। नियामक आयोग औसतन 15 फीसदी घाटा मंजूर करता है, लेकिन नए ट्रू-अप प्लान के हिसाब से कंपनियां 40 फीसदी घाटे से ऊपर जा रही हैं।
चुनावी दरियादिली सबसे भारी-
विधानसभा चुनाव 2018 के समय की गई शिवराज सरकार की दरियादिली कमलनाथ सरकार पर अब सबसे भारी पडऩा है। तब, दाम नहीं बढ़ा गए। जिस पर अगस्त 2019 में सात फीसदी दाम कमलनाथ सरकार के आने पर बढ़े। इसके बाद चार साल का घाटा और नया वित्तीय वर्ष पुराने घाटों को पूरा करके उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ाएगा। इससे बिजली के दाम सौ यूनिट के बाद बेहद ज्यादा हो जाएंगे, जिससे कमलनाथ सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है। अभी सरकार सौ यूनिट तक सौ रुपए में बिजली देकर खुद की ब्रांडिंग कर रही है। इस ब्रांडिंग के फेल होने का खतरा इस दाम बढ़ोत्तरी से उत्पन्न हो गया है।
किस साल कितना घाटा बताया-
- 5156.88 करोड़ रुपए 2014-15 में मांगे
- 7156.94 करोड़ रुपए 2015-16 में बताए
- 7247.55 करोड़ रुपए 2016-17 में मांगे
- 5327.54 करोड़ रुपए 2017-18 में मांगे
इनका कहना- पिछली भाजपा सरकार ने बिजली के नाम पर जनता को खूब लूटा है, बिजली कपंनियों को पंद्रह सालों में घाटे में पहुंचा दिया। हम बिजली कंपनियों को घाटे से बाहर निकालने के प्रयास कर रहे हैं। जहां तक बात दर वृद्धि की है, तो यह नियामक आयोग के स्तर पर होती है। सरकार सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाती है। हमने बिजली बिलों को कम किया है। ऐसा कभी भाजपा-राज में नहीं हुआ। इस मामले को भी दिखवाएंगे।
- प्रियव्रत सिंह, मंत्री, ऊर्जा विभाग, मप्र
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