सरकार लाई नया फार्मूला, ट्रॉफिक कॉरीडोर व 24 मीटर चौड़ी सड़क पर मिलेगा मिक्स लैंड यूज
भोपाल। प्रदेश के शहरों में ट्रॉफिक कॉरीडोर और 24 मीटर चौड़ी सड़कों पर सरकार दिल्ली मॉडल पर मिक्स लैंड यूज का फार्मूला लागू कर रही है। भोपाल के मास्टर प्लान से इसकी पहली शुरूआत होगी। इसमें शहर के किसी भी हिस्से में यदि ट्रॉफिक कॉरीडोर है और 24 मीटर चौड़ी सड़क है, तो वहां सड़क के दोनों साइड आवासीय, व्यावसायिक और अद्र्ध-व्यावसायिक लैंड यूज मिलेगा। इसमें मेट्रो और बीआरटीएस कॉरीडोर पहली प्राथमिकता पर शामिल रहेंगे। ट्रॉफिक कॉरीडोर के दोनों साइड अतिरिक्त एफएआर का प्रावधान भी लागू किया जाएगा, ताकि हाईराईज बिल्डिंग इन जगहों पर बन सके।
दरअसल, सरकार ने पहले 36 मीटर चौड़ी सड़कों पर मिक्स लैंड यूज लाने की तैयारी की थी, लेकिन अब नई रिअल एस्टेट पॉलिसी लागू करने के बाद इसमें बदलाव कर दिया गया है। नए नियमों के तहत अब मिक्स लैंड यूज के लिए दो फार्मूले एक साथ लाए जा रहे हैं। पहला फार्मूला शहर का ट्रॉफिक कॉरीडोर होना और दूसरा 24 मीटर चौड़ी सड़क होना रहेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि हर ट्रॉफिक कॉरीडोर के दोनों साइड तेजी से बिजनेस मॉडल डेवलप हो जाएगा।
वैध हो जाएंगी करोड़ों-अरबों की प्रॉपटी-
इस मिक्स लैंड यूज पॉलिसी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि भोपाल-इंदौर सहित अन्य शहरों में अभी अवैध तरीके से संचालित हो रही करोड़ों-अरबों की प्रॉपटी वैध हो जाएगी। भोपाल के एमपी नगर और होशंगाबाद रोड पर मुख्य सड़कों के दोनों ओर जो प्रॉपटी कमर्शियल है, उसमें अधिकतर मिक्स लैंड यूज का इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि इसकी वैधता नहीं है। शहरों के शोरूम, बिजनेस सेंटर, कोचिंग सेंटर, रेस्टारेंट सहित अनेक इस दायरे में आते हैं। ये सभी मिक्स लैंड यूज का नियम आने पर वैध हो जाएंगे। इसमें ओपन व पार्किंग एरिया सहित अन्य मूलभूत नियमों को शामिल रखा जाएगा।
दिल्ली-बैंगलोर का फार्मूला-
दिल्ली-बैंगलोर में अभी मिक्स लैंड यूज फार्मूला लागू हैं। दिल्ली में नोएडा में इसे अलग तरीके से लागू किया गया है। इन्हीं बड़े शहरों की तर्ज पर भोपाल-इंदौर सहित अन्य शहरों के लिए इस फार्मूले को अपनाना तय किया गया है।
मेट्रो रूट के लिए अलग प्लानिंग-
मेट्रो कॉरीडोर को इस मिक्स लैंड यूज में शामिल करने का फैसला हो गया है, लेकिन इसके लिए अलग फार्मूला रहेगा। मेट्रो कॉरीडोर के दोनों साइड स्पेशल एरिया रखा जाएगा। इस एरिया में अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार से पचास प्रतिशत और पचास प्रतिशत निजी सेक्टर से खरीदना होगा। इसमें सरकार की ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) पॉलिसी और ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) के तहत मिलने वाले एफएआर को खपाया जाएगा। इन नियमों को पहले ही लागू किया जा चुका है। इसमें हाई डेंसिटी डेवलपमेंट एरिया को प्रमुखता से रखा जाएगा। इसका चयन मेट्रो अॅथारिटी के साथ मिलकर नगरीय प्रशासन विभाग करेगा।
- मेट्रो कॉरीडोर में ऐसे एरिया भी इस मिक्स लैंड यूज के दायरे में आएंगे, जहां पर सरकार को निजी जमीन अधिग्रहित करनी होगी। इसमें टीडीआर के तहत जमीन के बदले में एफएआर का सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा, जिसे इसी कॉरीडोर सहित अन्य जगह इस्तेमाल किया जाएगा।
किसे-क्या फायदा ?
आम आदमी को- अनेक कॉलोनियों-इलाकों में 24 मीटर चौड़ी सड़क के किनारों पर अभी घरों में दुकान-कोचिंग सहित अन्य कमर्शियल एक्टिविटी चल रही है। वह वैध हो जाएगी। नए निर्माण में मिक्स लैंड यूज मिलेगा, जिससे व्यक्ति की प्रॉपटी की कीमत बढ़ जाएगी।
कॉलोनाईजर को- ट्रॉफिक कॉरीडोर व 24 मीटर सड़क पर अभी कॉलोनाइजर मिक्स लैंड यूज नहीं ले पाते हैं, इससे उनकी प्रॉपटी की कीमत कम रहती। ऐसी जगहों पर वे मिक्स यूज मल्टी बना सकेंगे। ग्रीन एफएआर या अतिरिक्त एफएआर खरीदकर यहां इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे मुनाफा होगा।
राज्य सरकार को- शहरों में मिक्स लैंड यूज तो हो रहा है, लेकिन उसका राजस्व सरकार को नहीं मिल पाता। अब मौजूदा मिक्स लैंड यूज का राजस्व भी मिल पाएगा। साथ ही नए निर्माण में भी अतिरिक्त आमदनी होगी। अतिरिक्त एफएआर भी खपाया जा सकेगा।
इनका कहना-
मिक्स लैंड यूज के नियम लागू करने वाले हैं। इसमें मेट्रो कॉरीडोर सहित अन्य ट्रॉफिक कारीडोर रहेंगे। हर जगह अलग-अलग आवासीय, व्यावसायिक और अद्र्ध-व्यावसायिक लैंड यूज दिया जा सकेगा।
- संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग, मप्र
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2C3eQzf
via
No comments