मप्र ने मांगे 6621 करोड़, केंद्र ने दिए 1000 करोड़, सीएम बोले- किसान परेशान, केंद्र उदारता दिखाए - Web India Live

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मप्र ने मांगे 6621 करोड़, केंद्र ने दिए 1000 करोड़, सीएम बोले- किसान परेशान, केंद्र उदारता दिखाए

भोपाल। बारिश के कहर से नुकसान के बाद मध्यप्रदेश ने केंद्र की मोदी सरकार से 6621 करोड़ रुपए की राहत राशि मांगी थी, लेकिन दो महीने इंतजार कराने के बाद अब केंद्र ने एक हजार करोड़ रुपए दिए हैं। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के किसानों की दुर्दशा व नुकसान का हवाला देकर कहा है कि केंद्र से मदद की जरूरत है। केंद्र सरकार उदारता दिखाए। दरअसल, केंद्र के इस तरह कम राशि देने से अब राज्य सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर चुनौती बढ़ जाएंगी, क्योंकि किसानों को राहत के साथ अन्य इंतजाम अब राज्य को अपने स्तर पर करना होंगे।

प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने से केंद्र से राहत राशि न मिलने को लेकर जमकर सियासी घमासान मचा था। प्रदेश में बारिश के कारण 60 लाख हैक्टेयर से ज्यादा फसलें बर्बाद हो गई है। राज्य सरकार ने 13 हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान का आकलन किया है, जिसमें से निर्धारित मापदंड के हिसाब से 6621 करोड़ रुपए केंद्र सरकार से राहत राशि मेंं मांगे गए थे। लेकिन, अब महज एक हजार करोड़ रुपए मिलने से प्रदेश को झटका लगा है। प्रदेश में किसानों की हालत खराब है, उस पर सरकार के पास बांटने के लिए पैसा नहीं है। इसलिए राज्य को केंद्र से मदद की दरकार है।

सीएम बोले- 55 लाख किसान परेशान

सीएम ने कहा है कि बारिश के कारण 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई। केंद्र तत्काल शेष राहत राशि भी जारी करें, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। अन्य राज्यों के समान ही केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश की जनता के प्रति भी उदारता दिखाए। नुकसान की वजह से वे नगदी की समस्या का सामना कर रहे हैं। रबी सीजन की बुआई के लिए बीज एवं खाद के लिए उन्हें पैसों की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में शेष राहत राशि केन्द्र सरकार तत्काल जारी करे जिसे किसानों को वितरित की जा सके। खरीफ की फसलों की तरह रबी सीजन की फसलों में भी किसानों को नुकसान न हो, इसलिए शेष राहत राशि की जरूरी होगी।

गंभीर त्रासदी मानने की अपील-

सीएम ने पूर्व में ही पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर प्रदेश में बारिश के कहर से हुए नुकसान को गंभीर त्रासदी मानकर गंभीर आपदा की श्रेणी में भी रखने का आग्रह किया था। इसके तहत केंद्रीय अध्ययन दल ने दो बार दौरे करके अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद अब यह राशि दी गई है।

कैबिनेट में उठ चुका है मसला-

राहत राशि पर केंद्र के भेदभाव का मसला कमलनाथ कैबिनेट में भी उठ चुका है। तब, मंत्रियों ने दिल्ली में पीएम निवास पर विरोध प्रदर्शन करने की बात कही थी। इस पर कांग्रेस सरकार दिल्ली में मार्च करके ज्ञापन सौंपने पर भी विचार कर रही थी। तब, केंद्र ने मप्र को पैसे न देकर बिहार व कर्नाटक को राहत राशि दे दी थी। अब कांग्रेस एक हजार करोड़ की राहत राशि को भेदभाव करार दे रही है।

आगे भी स्थिति गंभीर-

प्रदेश के सरकारी खजाने की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण केंद्र से मदद कम मिलने का असर अन्य कामों पर भी दिख सकता है। अभी भावांतर के एक हजार करोड़ भी मप्र को नहीं मिले हैं। किसानों को राहत राशि देकर मदद का सरकार का पूरा प्लान कम राशि के कारण गड़बड़ा सकता है। इसलिए चिंता की स्थिति है। सरकार के पास वेतन बांटने के अलावा अन्य कामों के लिए पैसा नहीं है। इसलिए नए निर्माण कामों पर रोक लगा रखी है। इसके अलावा नई योजनाएं भी नहीं लाई जा रही। सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट लाकर किसी तरह मौजूदा योजनाओं के संचालन के लिए पैसा जुटाएगी।

बारिश का कहर ऐसा रहा : फैक्ट फाइल-
- 6621 करोड़ रुपए की राहत राशि मांगी मप्र ने

- 60.52 लाख हैक्टेयर फसल का हुआ नुकसान
- 55.36 लाख से ज्यादा किसान इससे प्रभावित हुए थे

- 11 हजार किमी सड़कें क्षतिग्रस्त हुई बारिश के कारण
- 18604 बिजली के खंबे व ट्रांसफार्म क्षतिग्रस्त हुए थे

- 1.02 लाख मकान बारिश से ध्वस्त हुए
- 19958 स्कूल भवन बारिश से क्षतिग्रस्त हुए थे

- 348.3 एमएम बारिश जो सामान्य से 43 फीसदी ज्यादा थी
- 20 जिले अतिवृष्टि वाले थे मध्यप्रदेश में

- 75 हजार से ज्यादा लोगों को 289 राहत शिविर में रखना पड़ा था
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