सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जिम्मेदार लोगों की दिलचस्पी सिर्फ तिकड़मबाजी में है इसीलिए मर रहे हैं लोग - Web India Live

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जिम्मेदार लोगों की दिलचस्पी सिर्फ तिकड़मबाजी में है इसीलिए मर रहे हैं लोग

 

नई दिल्ली। दिल्ली.एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य और केंद्र सरकारों पर तल्ख टिप्पणियां कीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग मर रहे हैं और ज्यादा लोग मारे जाएंगेए लेकिन शासन में बैठे लोग केवल तिकड़मबाजी में दिलचस्पी रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि निर्माण कार्यए तोड़फोड़ पर लगा प्रतिबंध तोड़ने वालों पर एक लाख रुण् और कचरा जलाने वालों पर 5 हजार रुण् जुर्माना लगाया जाए। नगर निगम खुले में कूड़ा डालने पर भी नजर रखें। दिल्ली और केंद्र सरकार एक.दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय तुरंत कदम उठाएं। अदालत ने 6 नवंबर को उत्तर प्रदेशए हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों को तलब किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिए कि 30 मिनट के भीतर पर्यावरण विशेषज्ञों को कोर्ट में बुलाया जाए। दिल्ली.एनसीआर में सोमवार को भी हवा की गुणवत्ता में सुधार नजर नहीं आया। गुड़गांव में एयर क्वालिटी इंडेक्स ;एक्यूआईद्ध 800 से ज्यादा दर्ज हुआ। यह सीजन में सबसे अधिक है।
बेंच ने कहा. राज्य सरकारों की दिलचस्पी चुनावों में हैए वे हर बात का मजाक बना रहे
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने दिल्ली सरकार से पूछा. डीजल वाहनों पर प्रतिबंध समझ आता हैए लेकिन ऑड.ईवन स्कीम के पीछे क्या तुक हैघ् प्रदूषण की वजह से लोग जिंदगी के बेशकीमती साल खो रहे हैंए प्रशासन ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया।
बेंच ने कहा. अब इस मामले को हम देखेंगे। पराली जलाने को तुरंत रोका जाएए सभी राज्य इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं। राज्य सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं। इनकी दिलचस्पी केवल चुनावों में हैए ये हर चीज का मजाक बना रहे हैं। हम अब ऊपर से लेकर नीचे तक इन्हें जिम्मेवार ठहराने जा रहे हैं।
ष्दिल्ली के लुटियंस में कोई बेडरूम है तो वहां भी एक्यूआई 500 से ज्यादा है। यहां एयर प्यूरीफायर काम नहीं कर सकतेए क्या हम इस तरह से जिंदा रह सकते हैंघ् हम इस तरीके से जिंदा नहीं रह सकते। प्रशासन ने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
बेंच ने कहा. हर साल दिल्ली का दम घुट जाता हैए हम कुछ नहीं कर पाते। सवाल ये है कि यह हर साल हो रहा है। एक सभ्य देश में ऐसा नहीं होना चाहिए। हर साल इतनी ज्यादा पराली क्यों जलाई जाती हैघ् हर साल रोना.पीटना मचता है। राज्य इस बारे में जानते हैंए लेकिन वह मामले को सुलझा नहीं रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा. स्थिति गंभीर है। केंद्र और दिल्ली की सरकार होने के तौर पर आपका रुख क्या हैघ् आप प्रदूषण कम करने के लिए क्या करना चाहते हैंघ् केंद्र को कुछ करना चाहिए। राज्य को कुछ करना चाहिए। यह बहुत ज्यादा है। इस शहर में रहने के लिए कोई कमरा सुरक्षित नहीं है। लोग घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं।
अदालत ने निर्देश दिए. दिल्लीए पंजाबए हरियाणाए उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती पूरी तरह बंद की जाएए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि डीजल जेनेरेटरों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। राज्यों की उच्चस्तरीय समिति आज ही बैठक करे और 6 नवंबर तक हमें रिपोर्ट सौंपे।
बेंच ने कहा. दिल्ली सरकार हमें इस बात के आंकड़े या दस्तावेज शुक्रवार तक पेश करे कि ऑड.ईवन योजना से प्रदूषण कम हुआ हैए जबकि सड़कों पर ऑटो और टैक्सी तो अभी भी चल रहे हैं।
रविवार को विजिबिलिटी ;दृश्यताद्ध काफी कम थी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिकए सोमवार को लोधी रोड में प्रदूषण कारण कण पीएम 2ण्5 का स्तर 703ए दिल्ली विश्वविद्यालय में 695 और धीरपुर में 676 रहा। वहींए एक्यूआई आनंद विहार में 491 और आईटीओ में 434 रिकॉर्ड हुआए जो प्रदूषण की गंभीर स्थिति है। रविवार को ज्यादातर इलाकों में विजिबिलिटी ;दृश्यताद्ध काफी कम थी। दिल्ली एयरपोर्ट पर खराब मौसम और लो विजिबिलिटी के कारण विमान सेवाओं पर असर पड़ा। टर्मिनल.3 से 37 फ्लाइट्स को जयपुरए अमृतसर और लखनऊ डायवर्ट करना पड़ा था।
दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसीए 50 लाख मास्क बांटे गएदिल्ली.एनसीआर के सभी स्कूल 5 नवंबर तक बंद रहेंगे और सभी तरह के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लागू है। दिल्ली.एनसीआर में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गई है। सर्दी के मौसम में पटाखे जलाने पर पूरी तरह रोक रहेगी। दिल्ली में 4 से 15 नवंबर तक ऑड.ईवन लागू किया गया है। निजी और सरकारी स्कूलों में 50 लाख से ज्यादा मास्क बांटे गए। 300 टीमें हालात पर काबू करने के लिए लगातार जुटी हैं।

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