एक साल तक कैफे में किया ग्राहकों का इंतजार, एसिड से जला चेहरा देख ग्राहक लौट जाते थे - Web India Live

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एक साल तक कैफे में किया ग्राहकों का इंतजार, एसिड से जला चेहरा देख ग्राहक लौट जाते थे

भोपाल। सीआईआई के इंडियन वुमन नेटवर्क चैप्टर की ओर से विमन इंटरप्रैन्योर पर वुमन इन बिजनेस : ब्रिंगिंग चैलेजेंस कार्यक्रम का आयोजन श्यामला हिल्स स्थित एक निजी होटल में किया गया। कार्यक्रम में बिजनेस वुमन ने अपनी सफलता की कहानी सुनाई। साथ ही, बिजनेस के दौरान महिला होने के कारण आने वाली चुनौतियों से भी रू-ब-रू कराया। इस मौके पर अमृता राय ने कहा कि महिलाओं को राजनीति, प्रशासन और पॉलिसी मेकर बनकर समाज को बदलना होगा। महिला पहले पिता पर फिर पति पर डिपेंड होती है। उनका स्वतंत्र होकर काम करना मुश्किल होता है।

एक साल तक कैफे में किया ग्राहकों का इंतजार, एसिड से जला चेहरा देख ग्राहक लौट जाते थे

 जब मुझे पर हमला हुआ मेरी उम्र महज 17 साल थी

एसिड अटैक सर्ववाइवर 24 वर्षीय रितु सैनी ने कहा कि मैं अटैक से पहले एसिड अटैक के बारे में मैं भी नहीं जानती थी। मैं रोहतक में अपने परिवार के साथ रहती थी। वॉलीबॉल की स्टेट प्लेयर थी। जब मुझे पर हमला हुआ मेरी उम्र महज 17 साल थी, उस वक्त भी मैं प्रैक्टिस के लिए जा रही थी। मुझे पर जब एसिड फेंका गया तो मोहल्ले वाले तक तुरंत मदद करने के लिए आगे नहीं आए। तब खड़े तमाशा देखते रहे। यदि मुझे जल्दी अस्पताल ले जाया गया होता तो आज मुझे इतना दर्द नहीं झेलना पड़ता। अब तक मैं 7 ऑपरेशन करवा चुकी हूं। अभी और न जाने कितने ऑपरेशन कराना होंगे। मैं एक बात कहना चाहती हूं कि एसिड व्यक्ति के दिमाग में भरा होता है। यदि वो लड़का ये सोच लेता कि शरीर पर जरा सा गर्म तेल गिर जाने पर कितना दर्द होता है तो वो एसिड नहीं फेंकता। एसिड के कारण मेरे चेहरे के साथ हड्डियां तक चली गईं। आंखों से दिखना बंद हो गया। मैं दो माह तक अस्पताल में भर्ती रही। पैरेन्ट्स के सपोर्ट ने मुझे टूटने नहीं दिया। मैं छांव फाउंडेशन से जुड़ी और मेरी ही तरह की विक्टिम्स के लिए काम करने लगी। आगरा में हमने सीरोज हैंडआउट कैफे खोला।

उसमें करीब दस सर्वाइवर काम करती थी। लोग जैसे ही कैफे में आते, उन्हें लगता कि हम इनका चेहरा क्यों देखें। वे वहां एक मिनट रुकना तक पसंद नहीं करते थे। उन्हें लगता था कि हम इनकी मदद क्यों करे। कई बार तो दिनभर में एक ग्राहक भी नहीं आता था। हम सभी रोते थे, एक-दूसरे को हिम्मत बंधाते कि एक दिन तो हमें कामयाबी मिलेगी। करीब एक साल तक ये चलता रहा। आज लोगों को सोच बदली है, हमें भी सामान्य इंसान की तरह समझाना जाने लगा है। ग्राहक आने लगे। हमने लखनऊ में भी कैफे खोला, जहां 15 सर्ववाइवर जॉब करती हैं।

डायरेक्टर ने 4 साल तक बात कर लिखी कहानी

रितु ने बताया कि फिल्म छपाक एसिड अटैक का शिकार हुईं युवतियों की ही कहानी है। डायरेक्टर ने करीब 4 साल तक पीडि़ताओं से बात कर फिल्म का कहानी लिखवाई। मेरा मानना है कि ऐसी मूवी आना चाहिए, शायद इससे ऐसी लोगों की सोच में फर्क आए। मैं भी इस फिल्म में एक रोल कर रही हूं। अभी हम लोग 60 पीडि़ताओं का लीगल सपोर्ट और ट्रीटमेंट करवा रहे हैं। हालांकि मुझे दुख भी होता है कि जिसने मुझ पर हमला किया था उसे हाईकोर्ट से राहत मिल गई। वह अभी बाहर है और मैं दर्द झेल रही हूं।

चार्टर के बिजनेस में आए तो पाइलेट ने कहा शादी कर लो
एक निजी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट हूं। भोपाल की ही रहने वाली कनिका टेकरीवाल का सपना पाइलेट बनने का था। लोगों ने कहा कि लड़की होकर पाइलेट क्यों बनना। 2014 में हमने प्राइवेट प्लेन-हैलिकॉप्टर को किराए पर देने का बिजनेस शुरू किया। हमारे पाइलेट एयरफोर्स और नेवी के सीनियर रिटायर्ड ऑफिसर थे। जब कनिका ने उन्हें ये प्लान बताया कि एक पाइलेट ने कहा बिजनेस शुरू कर क्या करोगी, मैं तुम्हारी शादी करा देता हूं। हमने हार नहीं मानी। देश के बड़े उद्योगपतियों को बताया कि चार्टर और हैलीकॉप्टर किराए पर दीजिए। आज हमारी कंपनी 24 प्लेन और 3 हैलिकॉप्टर के साथ देश की पांच बड़ी कंपनियों को मैनेज करती है।

पल्लवी स्वरूप, बिजनेस वुमन

मैंने लंदन में बतौर लॉयर अपना करियर शुरू किया। वहां भी महिलाओं के लिए चैलेंजस कम नहीं थे। मैं खेतान एण्ड कंपनी से बतौर पार्टनर जुड़ी हूं। मेरा मानना है कि महिला मल्टीटास्कर होती है। उसे बस ऑर्गेनाइजेशन से सपोर्ट मिलना चाहिए। अभी मल्टीनेशनल कंपनी से लेकर सामान्य कंपनियों तक में लीडरशिप स्तर पर महिलाओं का योगदान बहुत कम है। मीडिल लेवल तक आने के बाद उनका ड्राप आउट शुरू हो जाता है। महिला यदि 6 माह की मेटरनिटी लीव लेना चाहे तो ऐसी स्थितियां बना दी जाती है कि उसे जॉब तक छोडऩा पड़ता है। कंपनियों में महिलाओं का ड्राप आउट रेट 40 से 50 प्रतिशत है, जो पुरुषों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। महिलाओं में लीडरशिप डेवलप कर हम देश की जीडीपी ग्रोथ को ओर तेजी से बढ़ा सकते हैं।

कल्पना उनादकट, बिजनेस वुमन



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