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सरकार ने वापस लिया आदेश, धार्मिक पर्यटन क्षेत्र में नहीं खुलेंगे रिसोर्ट बार

भोपाल। प्रदेश के धार्मिक पर्यटन क्षेत्र में अब रिसोर्ट बार की अनुमति नहीं होगी। राज्य सरकार ने आय बढ़ाने के लिए यहां शराब बेचने और परोसने की छूट दे दी थी। सरकार के आदेश जारी होने के बाद से ही इसे लेकर विरोध होने लगा था। जिसके चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। पत्रिका ने 2 दिसम्बर के अंक में इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।

धार्मिक और पर्यटन क्षेत्रों में मांस और मदिरा पर पूरी तरह से रोक है। रोक के बावजूद भी यहां इस तरह की गतिविधियां होती हैं तो संबंधित पर दण्ड का प्रावधान भी है। इसके बावजूद भी वाणिज्यिक कर विभाग ने पर्यटन विभाग की सहमति पर यहां रिसोर्ट बार खोलने की अनुमति दे दी।

तर्क दिया गया कि इससे यहां के पर्यटन बढ़ेगा। रिसोर्ट बार की अनुमति होगी तो टेक्स चोरी भी रुकेगी, क्योंकि कई बार चोरी छिपे शराब की बिक्री और इसके उपयोग की शिकायतें मिलती हैं। इसी के साथ ही सरकार ने बांध, जलाशयों और प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्रों में भी रिसोर्ट बार की अनुमति दी है। इसके लिए 27 नवम्बर को प्रकाशित राजपत्र में अब संशोधन करते हुए धार्मिक और पर्यटन क्षेत्र मैहर और चित्रकूट को इस सूची से हटा लिया गया है। अब इन धार्मिक स्थलों पर रिसोर्ट बार खोलने की अनुमति नहीं होगी।

बांध और जलाशयों के रहेंगे रिसोर्ट बार -

वाणिज्यिक विभाग ने धार्मिक, हैरिटेज के अलावा पर्यटन विभाग द्वारा जल पर्यटन के लिए निर्धारित बांध, जलाशयों में बने रिसोर्ट में बार खोलने की अनुमति दी है। इसके तहत यहां एफएल थ्री-ए लायसेंस जारी किए जाएंगे। इसके तहत रिसोर्ट बार संचालक निर्धारित फीस देकर बार खोल सकेंगे। ग्राहकों को शराब परोसने की सुविधा भी यहां होगी।

यहां रिसोट बार खोलने की अनुमति -

हैरीटेज पर्यटन क्षेत्र - सांची, भीम बैठका, खजुराहो, माण्डू, ओरछा
प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र - पचमढ़ी, तामिया, पातालकोट, उदयगिरी
जल पयर्टन वाले क्षेत्र - गांधी सागर (मंदसौर), तवा बांध (होशंगाबाद), बाणसागर बांध (रीवा), मणीखेड़ा, चांदपाठा बांध (शिवपुरी), गंगउ बांध (पन्ना), मान बांध (धार), जोबट फाटा बांध (अलीराजपुर), गोविंदगढ़ जलाशय (रीवा), माचागोरा बांध (छिंदवाड़ा), सॉपना बांध (बैतूल), धोलाबड जलाशय (रतलाम)

मैहर और चित्रकूट को एफएल 3 -ए श्रेणी में शामिल करते हुए रिसोर्ट बार की अनुमति दी थी, लेकिन अब इसे इस श्रेणी से बाहर कर दिया है।

- मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर विभाग



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