भोज विवि में घोटाला : 10 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड गायब, छात्रों की फीस का भी नहीं मिल रहा हिसाब

भोपाल। मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी सामने आई है। बैंक में जमा 10 करोड़ रुपए से अधिक का रिकार्ड नहीं मिल रहा है। विद्यार्थियों से फीस तो बसूली जा रही है लेकिन विश्वविद्यालय में कितनी फीस आई, इसको कहां कैसे खर्च किया गया। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है।
स्थानीय निधि संपरीक्षा की वित्तीय वर्ष 2018-19 की ताजा ऑडिट में इसका खुलासा हुआ है। इस दौरान विश्वविद्यालय में प्रो. रविन्द्र कान्हेंरे, डीडी अग्रवाल और डॉ. जयंत सोनवलकर कुलपति रहे हैं। सोनवलकर वर्तमान में भी कुलपति हैं। आपत्तियों के साथ इस रिपोर्ट की कॉपी विश्वविद्यालय के साथ उच्च शिक्षा विभाग को भी भेजी गई है।
कैश बुक और बैंक स्टेटमेंट में 10.46 करोड़ का अंतर -
विश्वविद्यालय के बैंक स्टेटमेंट और कैशबुक में 10 करोड़ 46 लाख रुपए से अधिक का अंतर पाया गया। सबसे ज्यादा 9 करोड़ 86 लाख रुपए का अंतर बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा रकम में पाया गया। विश्वविद्यालय की कैश बुक में 47 करोड़ 77 लाख रुपए जमा होना बताया गया जबकि बैंक स्टेटमेंट में यह राशि 10 करोड़ रुपए अधिक यानी 57 करोड़ 63 लाख रुपए पाया गया।
इसी प्रकार की स्थिति भारतीय स्टेट बैंक के शिवाजी नगर और कोलार रोड ब्रांच में जमा राशि में पाई गई। ऑडिट में विश्वविद्यालय 287 करोड़ 29 लाख रुपए की एफडीआर पाई गई। 31 मार्च 2019 की स्थिति में इसकी परिपक्वता अवधि पूरी होने पर यह राशि विश्वविद्यालय के खाते में जमा कराई गई। निर्देश दिए गए कि यह राशि खाते में जमा कराकर आवासीय संपरीक्षा को इसकी जानकारी दी जाए।
11.52 करोड़ का एडवांस दिया लेकिन वसूली नहीं -
विश्वविद्यालय ने यहां के अधिकारी-कर्मचारियों को 11.52 करोड़ रुपए का एडवांस दिया। इनका समायोजन तीन माह में किया जाना था, लेकिन वित्तीय वर्ष 2018-19 में दी गई राशि की वसूली नहीं की गई। इस मामले में विश्वविद्यालय ने कोई कार्यवाही नहीं की। रिपोर्ट में राशि वसूले के साथ इसकी सूचना आवासीय संपरीक्षा को देने के निर्देश दिए गए। कुछ इसी प्रकार की स्थिति विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए दी गई एडवांस राशि के मामले भी पाई गई। यह राशि 12 लाख रुपए से अधिक की है।
किराएदारों पर दरियादिली -
विश्वविद्यालय ने व्यक्तियों, संस्थाओं को किराए से जगह तो दी लेकिन किराया नहीं लिया। विश्वविद्यालय ने परिसर में एटीएम के लिए मई 2018 में स्थान उपलब्ध कराया। अनुबंध के मुताबिक हर माह स्थान और बिजली का खर्च लेना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसमें एटीएम किराए की राशि 25.80 लाख और बिजली व्यय 1.92 लाख रुपए हो गया। इसी प्रकार हिन्दी विश्वविद्यालय को यहां भवन किराए पर दिया गया।
इसका भवन, वाटर चार्जेज, बिजली बिल का किराया 7.21 लाख रुपए हो गया लेकिन विश्वविद्यालय ने वसूली नहीं की। स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के तहत किराए पर दिए गए भवन का 7.88 लाख रुपए किराया नहीं लिया। विश्वविद्यालय से बाहर के अधिकारियों को यहां आवास आवंटित किए जबकि इन्हें पात्रता नहीं है। इनसे किराया और पैनाल्टी के 12.79 रुपए की वसूली होना है।
गोपनीय कार्य से निकाली राशि का रिकार्ड नहीं -
विश्वविद्यालय के रिकार्ड में गोपनीय कार्य के लिए बैंक से 60 लाख रुपए निकाले जाने का रिकार्ड तो है, लेकिन यह राशि कहां खर्च की गई इसका कोई रिकार्ड ऑडिट टीम को नहीं मिला। इसी प्रकार विश्वविद्यालय और यहां के अध्ययन केन्द्रों में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों की फीस का रिकार्ड नहीं मिलने पर टीम ने आपत्ति दर्ज की है। रिपोर्ट में लिखा है कि विद्यार्थियों से चालान, बैंक ड्राफ्ट और ऑनलाइन प्रक्रिया से फीस ली जाती है, लेकिन इसके सत्यापन की व्यवस्था नहीं है।
यह रिकार्ड भी नहीं मिला ऑडिट में -
ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया कि विश्वविद्यालय में आय व्यय राशि के प्रमाण, बैंक स्टेटमेंट, परीक्षा फार्मों एवं रसीद बुक का रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया। इसी प्रकार अधिकारी, कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाएं एवं व्यक्तिगत नस्तियां, एससी-एसटी की परीक्षा शुल्क संबंधी मूल नस्ती, फीस में छूट, अचल सम्पत्तियों का रिकार्ड एवं मूल अभिलेख इत्यादि का रिकार्ड भी जांच के दौरान नहीं दिया गया।
ये कमियां भी पाई गईं -
- भुगतान, राशि के एडजस्टमेंट, एडवांस राशि तथा टीए, डीए की जानकारी निर्धारित प्रोफार्मा में नहीं पाए गए। अपनी सुविधा के अनुसार इसे दिया जाता रहा।
- स्थाई प्रकृति के सामग्री का रिकार्ड, भौतिक सत्यापन, जांच प्रतिवेदन इत्यादि की लिस्ट नहीं पाई गई। सूची के अभाव में दुरुपयोग की संभावना जताई गई।
- विश्वविद्यालय की कार, जीप, वैन, टाटा मैजिक व अन्य चार पहिया वाहन का अलग-अलग रिकार्ड नहीं है। इनकी मरम्मत व नई सामग्री खरीदी एवं पुरानी बदली सामग्री का रिकार्ड नहीं पाया गया।
- विश्वविद्यालय के लिए खरीदे गए फर्नीचर के रिकार्ड और इनके उपयोग कक्ष स्थल का रिकार्ड भी नहीं पाया गया।
- विश्वविद्यालय की परीक्षा सामग्री, पाठ्य पुस्तकें, परीक्षा संबंधी आवेदन, अंक सूची, डिग्रियां, उत्तर पुस्तिका आदि का मार्च 2018 में कुल शेष और मार्च 2019 तक के रिकार्ड का लेखाजोखा नहीं मिला।
- लायब्रेरी के लिए समय-समय पर खरीदी गई पुस्तकों का अपडेट रिकार्ड, भौतिक सत्यापन का रिकार्ड नहीं मिला।
ऑडिट रिपोर्ट में क्या कहा गया है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लगातार बाहर रहने के कारण मैं इसे देख नहीं पाया। इस बारे में रजिस्ट्रार ही कुछ बता पाएंगे।
- डॉ. जयंत सोनवलकर, कुलपति भोज विश्वविद्यालय
ऑडिट में दर्शाई गई आपत्तियों को घोटाला नहीं कहा जा सकता, क्योंकि विश्वविद्यालय में पेमेंट की ऑनलाइन व्यवस्था है। यह सही है रिकार्ड का मिलान न होने के कारण आडिट आपत्ति आई हैं। इसके निराकरण की विशेष व्यवस्था की जा रही है। ताजा आपत्तियों के निराकरण के साथ पिछली आपत्तियों का निराकरण भी किया जाना है।
- एचएस त्रिपाठी, रजिस्ट्रार भोज विश्वविद्यालय
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