एमबीबीएस और पीजी डिग्री के बाद डॉक्टरों ने गांवों में नहीं किया इलाज तो जुर्माना देकर नहीं बच सकेंगे, रजिस्ट्रेशन होगा निरस्त - Web India Live

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एमबीबीएस और पीजी डिग्री के बाद डॉक्टरों ने गांवों में नहीं किया इलाज तो जुर्माना देकर नहीं बच सकेंगे, रजिस्ट्रेशन होगा निरस्त

भोपाल. एमबीबीएस, पीजी और सुपर स्पेशिएलिटी डिग्री लेने के बाद गांवों में इलाज नहीं करने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्त हो गई है। ये डॉक्टर जुर्माना भरकर बच सकेंगे। नए नियमों के तहत गांवों में सेवा न देने पर रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। विधानसभा से पास होते ही ये नियम सत्र 2020-21 के लिए लागू किया जाएगा।
मप्र मेडिकल काउंसिल की जांच में खुलासा हुआ था कि 17 साल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से यूजी-पीजी कोर्स करने वाले डॉक्टरों ने गांवों में सेवा नहीं दी। इन्होंने बॉन्ड की राशि भी नहीं चुकाई। 3899 डॉक्टरों को नोटिस दिया गया था।
204 डॉक्टरों ने दिया 5.39 करोड़ जुर्माना
मौजूदा नियमों के मुताबिक डॉक्टर गांव जाने के बजाय जुर्माना भर देते हैं। नोटिस देने के बाद 829 डॉक्टर हाजिर हुए और इनमें से 204 ने बॉन्ड के रूप में 5 करोड़ 39 लाख रुपए जमा कराए और गांवों में अनिवार्य सेवा से मुक्त हो गए।
पीजी के बाद दो साल के लिए जाना होगा गांव
यदि कोई डॉक्टर एमबीबीएस के बाद गांव जाने से पहले पीजी करता है तो उसे रोका नहीं जाएगा। पीजी के बाद उसे दो साल के लिए गांव जाना होगा। पीजी के बाद डीएम करने पर डॉक्टर को तीन साल के लिए गांव में सेवा देना होगी।
दो साल का अस्थायी रजिस्ट्रेशन होगा
नए नियमों के मुताबिक यूजी, पीजी और सुपर स्पेशिएलिटी डॉक्टरों को डिग्री के बाद एक साल के लिए गांव जाना होगा। डॉक्टरों को दो साल का अस्थाई रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा। यदि डॉक्टर इन दो सालों में गांव नहीं जाएंगे तो रजिस्ट्रेशन रद्द हो जाएगा।
अभी ये है नियम
नियमों के मुताबिक एमबीबीएस के बाद यदि एक साल अनिवार्य ग्रामीण सेवा नहीं दी तो एससी, एसटी के छात्रों को 5 लाख तो सामान्य व ओबीसी छात्रों को 10 लाख रुपए बतौर बॉन्ड राशि जमा करने होते हैं। स्कॉलरशिप स्कीम का लाभ लेने वाले छात्रों को पढाई पूरी करने के बाद दो साल की ग्रामीण सेवा न करने पर 10 लाख रुपए जमा करने का नियम है।
हर साल बढ़ रहीं सीटें
प्रदेश में फिलहाल एमबीबीएस व बीडीएस की 1920 सीटें हैं। सरकारी कॉलेजों में पीजी की 712 सीटें हैं। अगले साल यूजी कोर्स की 1364 सीटें और बढऩे की उम्मीद है। इस तरह हर साल तकरीबन पांच हजार डॉक्टर मिलेंगे। स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कि यह सभी गांवों में जाएं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर हो।
अब जुर्माना भरकर कोई भी डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने से नहीं बच सकेगा। डिग्री के बाद ग्रामीण सेवा अनिवार्य होगी। यदि कोई डॉक्टर ऐसा नहीं करता है तो उसका रजिस्ट्रेशन स्वत: ही रद्द हो जाएगा।
शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग



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