बड़ा तालाब के छह दुश्मन, खत्म कर रहे तालाब को, बिना अनुमति हो गए बड़े-बड़े निर्माण

भोपाल। लाइफ लाइन बड़ा तालाब को सुनियोजित तरीेके से माफिया निगल रहा है। बड़े-बड़े निर्माण कैचमेंट एरिया में हो गए। रोक लगना? कार्रवाई होना तो दूर लगातार माफिया कैचमेंट को निगल रहा है। तालाब के खानूगांव से वीआईपी रोड तक के कैचमेंट में रिटेनिंग वॉल बलाकर 40 प्लॉटो को बचाया गया। इस निर्माण से ये प्लॉट कैचमेंट के दायरे से बाहर हो गए। 2016 में इस वॉल को तोडऩे के लिए तत्कालीन सीएम ने निर्देश भी दिए,
लेकिन आज तक कुछ नहीं उल्टा। उल्टा खानूगांव, बैरागढ़ क्षेत्र में कब्जों की संख्या बढ़कर 361 पहुंच गई। जिम्मेदार जिला प्रशासन, नगर निगम ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की। नतीजा कैचमेंट में बड़े-बड़े अवरोधक खड़े होते जा रहे हैं। नीलबड़, रातीबड़ की तरफ तो हद ही कर दी। यहां किसानों को एक टपरा बनाने की अनुमति नहीं है, लेकिन कुछ रसूखदारों के प्लॉट कट गए। अगर समय रहते इन पर लगाम नहीं कसी गई तो दिसंबर से सूखने वाला बड़ा तालाब जल्द ही खतरे में आ जाएगा।
खानूगांव: अतिक्रमण का सॉफ्ट टारगेट
मास्टर प्लान 2005 में खानूगांव के छोटे से हिस्से को आवासीय किया गया था। इसी की आड़ में यहां बड़े कब्जे होते चले गए। लोगों ने मौके का फायदा उठाकर यहां मैरिज गार्डन तक तान दिए। इन गार्डन का अनट्रीट पानी बड़े तालाब में छोड़ा जा रहा है। बड़े-बड़े फार्म हाउस भी यहां कट गए हैं। खानूगांव और बैरागढ़ क्षेत्र में 361 अवैध अतिक्रमण कागजों में चिन्हित, कार्रवाई 20 पर भी नहीं की गई।
बोट क्लब: तालार में बनाए पिलर
2. बड़ा तालाब में बोट क्लब की ओर से नगर निगम ने यहां वाटिका पार्क के अंदर 10000 वर्ग फीट का सीमेंट कॉन्क्रीट का बड़ा निर्माण कर दिया। यह निर्माण यहां लगे वाटर स्क्रीन पर चल रही फिल्म को देखने के लिए थिएटर के रूप में किया गया। हैरत करने वाली बात है कि इस थेटर की बिल्डिंग के पिलर तालाब के पानी के अंदर गाड़े गए। रामसर साइट होने के नाते तालाब के किनारे इस तरह का निर्माण कोई नहीं कर सकता, लेकिन नगर निगम ने यहां 8.10 करोड़ रुपए की बड़ी राशि खर्च करके निर्माण किया। तालाब के लिए बहुत हानिकारक है।
एफटीएल से लगा सैरसपाटा: निजी करने की तैयारी
3. प्रेमपुरा घाट की और पर्यटन विकास निगम तालाब के एफटीएल से लगा पूरा क्षेत्र हैं। यहां करीब 22 एकड़ पर सैर सपाटा विकसित है। उसे अब 30 सालों के लिए किसी निजी एजेंसी के सुपुर्द करने की कवायद की जा रही। इसका विरोध खुद सैर सपाटा में काम करने वाले कर्मचारी कर रहे हैं। उन्होंने विरोध स्वरुप मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए बड़े फ्लेक्स, होर्डिंग लगाए।
मत्य विभाग की जमीन पर होटल
4. भड़भदा की और तालाब के बिल्कुल किनारे निजी एजेंसी को होटल बनाने मत्स्य विभाग ने जमीन लीज पर दी। यहां कोशिश लेक व्यू से मोटी कमाई करना है। इससे पहले भी वन विहार से लेकर भदभदा के बीच दो बड़ी होटल बन चुकी है और इसी लेक व्यू का फायदा लेकर कारोबार कर रही है इसका असर तालाब की सेहत पर हो रहा है उसमें सीधा अपशिष्ट मिल रहा है।
कैचमेंट में बना चिरायू
5. बैरगढ़ की तरफ चिरायू अस्पताल का बड़ा हिस्सा तालाब में ही बना है। इस वर्ष मुनारों के लिए किए गए सत्यापन कार्यके लिए मुनारों की गिनती की गई तो यहां पर एक नंबर से लेकर सत्तरह नंबर की मुनारें ही नहीं मिलीं। बीच-बीच में एक दो मुनारें पानी में डूबी दिखीं, पिछले चार साल में दो बार मुनारों की गिनती कर एफटीएल तय किया गया, लेकिन अस्पताल पर कार्रवाई नहीं की गई।
कट गईं कॉलोनियां, प्लॉटिंग
6. बड़े तालाब के सूरज नगर, नीलबड़, रातीबड़, कलखेड़ा की ओर कैचमेंट होने से निर्माण अनुमतिया नहीं दी जा रही है। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से यहां पर अवैध कालोनियों का जाल बीछ रहा है। इस समय इस पूरे क्षेत्र में 100 से अधिक कॉलोनियों विकसित हो रही है जो तालाब के कैचमेंट में है। स्थिति यह है कि अब इन्हीं अवैध कालोनियों को सामने रखकर यहां के किसान इस पूरे क्षेत्र को मास्टर प्लान 2031 में आवासीय क्षेत्र करार देने और केचमेंट से इसे मुक्त करने के लिए कवायद कर रहे हैं। ये रोजाना इसे लेकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
बड़ा तालाब संरक्षण के लिए हमने बीते सालों में काफी काम किया है। नगर निगम आसपास के अवैध निर्माण अतिक्रमण को हटाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। कई बार कई तरह की बाधाएं सामने आती हैं। हमने इनसे भी निपटने के लिए काम किया। तालाब शहर की शान है और उसके साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।- आलोक शर्मा, महापौर
बड़ा तालाब में कब्जे हटाने को लेकर लगातार निर्देश दिए हैं, कार्रवाई भी हो रही है। राजस्व नक्शे में तालाब की सीमा चिन्हित करा दी गई है। इससे नए कब्जे खुद ब खुद चिन्हित हो जाएंगे।
तरुण पिथोड़े, कलेक्टर
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