बिजली पर सख्ती : ऊर्जा मंत्री बरसे, बोले- मीटिंग की खानीपूर्ति मत करो, फील्ड में उतरो
भोपाल। बिजली में घाटे को लेकर सरकार ने सख्त रूख अपना लिया है। बिजली पर एक ओर ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने अफसरों को मैदान में उतरकर वसूली बढ़ाने के लिए कहा है, तो दूसरी ओर घाटे से परेशान होकर पंद्रह साल में बिजली की दुर्दशा का हिसाब तैयार करना शुरू कर दिया है। इस हिसाब को श्वेत-पत्र में जारी करके सरकार ब्रांडिंग करेगी कि उसने बिजली की स्थिति को सुधारा है, जबकि भाजपा शासनकाल में बिजली पर घाटा ज्यादा था।
मंगलवार को ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने सौ फीसदी मीटरीकरण के लक्ष्य को गंभीरता से लेने के निर्देश अफसरों को दिए। मंत्री ने हर संभाग के अफसरों से सीधे संवाद करना तय किया है। इस कड़ी में सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह, पन्ना और निवाड़ी जिले के अफसरों को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए फील्ड में उतरने के लिए कहा। इन अफसरों को मंत्री ने कहा कि मीटरों की जांच पूरी मुस्तैदी से की जाए, लेकिन एेसा न हो कि आप लोग जाकर सीधा कनेक्शन काट दो। बिजली के कनेक्शन मत काटो, ताकि वसूली निरंतर रहे।
लेकिन, गड़बड़ी करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई जरूर करो। प्रियव्रत ने बिजली कंपनी के एमडी को कहा कि मीटिंगों की खानापूर्ति नहीं की जाए, बल्कि वास्तव में मैदान में काम नजर आना चाहिए। एेसा न हो कि मीटिंग की और मैदान में पहले जैसे ही हाल रहे। उन्होंने किसानों को निर्धारित शेडयूल के आधार पर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा।
हर दूसरे मंगलवार होगी बैठक- उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर बिजली बिलों की समस्याओं को हल करने जो कमेटी बनाई है, उसे हर दूसरे मंगलवार बैठक करना है। अभी एेसा नहीं हो रहा है। जो लोग बैठक नहीं कर रहे हैं, उन जूनियर इंजीनियरों को नोटिस जारी किए जाए।
इधर, श्वेत-पत्र की तैयारी...
दूसरी ओर सरकार ने बिजली पर श्वेत-पत्र लाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके तहत बिजली कंपनियों के घाटे का पूरा गणित तैयार किया जाना है। पंद्रह सालों में किन कारणों से बिजली कंपनियों को घाटा हुआ और उसके लिए क्या प्रयास किए गए इसका पूरा ब्यौरा दिया जाएगा। इसमें दीर्घकालीन एमओयू, सरकारी प्लांटों को बंद करने से लेकर पीएलएफ और अन्य सभी कारणों को भी देखा जाएगा। ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के मुताबिक अभी श्वेत-पत्र तैयार करने के लिए काम हो रहा है। सरकार जल्द ही श्वेत-पत्र लाएगी।
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