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शुक्रवार है मां लक्ष्मी का दिन: ये हैं देवी मां के प्रमुख मंदिर

सनातन धर्म में मां लक्ष्मी एक प्रमुख देवी हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं। पार्वती और सरस्वती के साथ, वह त्रिदेवियों में से एक है और देवी मां लक्ष्मी ही धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं और सप्ताह के दिनों में लक्ष्मी जी शुक्रवार की कारक मानी जातीं हैं। दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। जिनका उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद के श्री सूक्त में मिलता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देश में भगवान शिव, राम, कृष्ण, हनुमान और शनिदेव के कई मंदिर हैं। वहीं इसके अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, लेकिन उनकी संख्या इतनी नहीं होती है।

हिन्दुओं में दीपावली पर खासकर उत्तर भारत में मुख्यतः देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली की पूजा यूं तो घरों और प्रतिष्ठानों में की जाती है, लेकिन इस दौरान कई भक्त मंदिर भी जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको देश के उन खास देवी मां लक्ष्मी के मंदिरों के बारें में बता रहे है, जो कई मायनों में प्रसिद्ध हैं।

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ये हैं देश के प्रमुख लक्ष्मी मंदिर -

1. लक्ष्मी नारायण मंदिर, वेल्लोर : तमिलनाडु के शहर वेल्लोर से 7 किलोमीटर दूर थिरुमलाई कोड़ी में यह स्वर्ण मंदिर स्थित है। इस मंदिर के निर्माण में तक़रीबन 15,000 किलोग्राम विशुद्ध सोने का इस्तेमाल हुआ है। 24 अगस्त 2007 को यह मंदिर दर्शन के लिए खोला गया था।

2. लक्ष्मी नारायण मंदिर, जयपुर: देशभर में कई मंदिरों का निर्माण बिड़ला परिवार ने करवाया है। उन्हीं में से एक है जयपुर का लक्ष्मी नारायण मंदिर। मंदिर के गर्भगृह में भगवान लक्ष्मी नारायण की बहुत ही सुन्दर मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण 1988 में हुआ था। विशाल परिसर में बना संगमरमर का यह मंदिर बहुत ही सुंदर है। यह मंदिर मुख्य रूप से दक्षिण शैली में बना हुआ है।

3. महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई: यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित की होने की वजह से बहुत सुंदर और आकर्षक लगता है। मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मान्यता है कि मां ने एक ठेकेदार के सपने में आकर समुद्र में से तीनों मूर्तियां निकाल स्थापित करने को कहा था। मुम्बई के महालक्ष्मी मंदिर में वही तीन मूर्तियां महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के रूप में स्थापित है।

4. अष्टलक्ष्मी मंदिर, हैदराबाद : देवी लक्ष्मी का यह अष्टलक्ष्मी नामक मंदिर हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित है। इस मंदिर को 1996 में भक्तों के लिए खोला गया था। देवी के 8 अलग-अलग रूपों में विराजित होने की वजह से यह मंदिर अपने आप में खास है। यह मंदिर दक्षिण भारत की वास्तु कला के आधार पर बनाया गया है।

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धन की कमी है, तो यहां करें देवी मां लक्ष्मी के अद्भुत मन्दिरों के दर्शन...
देवी लक्ष्मी की उपासना धन की देवी के रूप में की जाती है। खासकर कि, उत्तर पर पश्चिमी भारत में माना जाता है कि, देवी लक्ष्मी दिवाली के तीसरे दिन अपने भक्तों के घर का दौरा करती हैं। इस दौरान घर को साफ रखा जाता है, देवी लक्ष्मी की उपासना की जाती है, और उनकी प्रतिमा के समक्ष दिया भी प्रज्वलित किया जाता है। पूर्ण भारतवर्ष में देवी महालक्ष्मी के कई मंदिर है, जहां उनके भक्त धन-सम्रद्धि की मन्नते मांगने पहुंचते हैं।

लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली -

इसे दिल्ली का बिड़ला मंदिर भी कहते है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर मूल रूप में 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था और 1793 में पृथ्वी सिंह ने जीर्णोद्धार कराया।

बाद सन 1938 में इसे बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और फिर से उद्धार किया जिसका फिर महात्मा गांधी ने उदघाटन किया था। यह मंदिर मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है।

आज यह मंदिर दिल्ली के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान के साथ पर्यटन स्थल भी है। दिवाली और कृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के अलावा भगवान गणेश, हनुमान, देवी दुर्गा ,महादेव की प्रतिमा भी स्थापित है।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर -
महाराष्ट्र स्थित कोल्हापुर अपने महा लक्ष्मी मंदिर के लिए जाना जाता है, यह शक्तिपीठ भारत के प्रामुख धार्मिक स्थानों में एक है। कि महालक्ष्मी का यह मंदिर 1800 साल पुराना है और इस मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य ने देवी महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी।

कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण कर्नाटक के चालुक्य वंशज ने कराया था। इसकी विशिष्टता यह है कि इस मंदिर में मां की मूर्ति पर सूर्य की किरणें पड़ती है।

अष्टलक्ष्मी मंदिर, चेन्नई -

इलियट समुद्र तट के पास यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर देवी लक्ष्मी के आठ रूप- वंश, सफलता, समृद्धि, धन, साहस, वीरता, भोजन और ज्ञान को समर्पित है। मंदिर में देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप 4 मंजिल में बने 8 अलग-अलग कमरों में स्थापित है।

लक्ष्मी कुबेर मंदिर, वडलूर, चेन्नाई चेन्नाई के वडलूर नाम के क्षेत्र में एक अनोखा मंदिर है। यह मंदिर अनोखा इसलिए है क्योंकि इस मंदिर में भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी एक साथ विराजित है। यह मंदिर यह मंदिर लगभग 65 फ़ीट लम्बा और 45 फ़ीट चौड़ा है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी अपने पति और भगवान विष्णु के साथ मंदिर की दूसरी मंजिल में विराजित है।



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