माउंट एवरेस्ट विजेता भावना डेहरिया ने फिर रचा इतिहास, जानिए कैसे मिली सफलता... - Web India Live

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माउंट एवरेस्ट विजेता भावना डेहरिया ने फिर रचा इतिहास, जानिए कैसे मिली सफलता...

भोपाल। मध्य प्रदेश की पर्वतारोही व एवेरेस्टर भावना डेहरिया ने भारतीय हिमालय पर्वत शृंखला को विश्वभर में प्रमोट करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज किया है। भावना ने कोयम्बटूर की संस्था ट्रांसेंड एडवेंचर्स और स्नो लेपर्ड एडवेंचर्स की ओर से 15 अगस्त को आयोजित एक ऑनलाइन इवेंट में 995 अन्य प्रतिभागियों के साथ भाग लेकर अपना नाम इस रेकॉर्ड में दर्ज कराया। इस इवेंट में एक घंटे के अंदर हिमालय पर्वत की किसी श्रेणी पर की हुई अपनी क्लाइंब की फोटोग्राफ्स माउंटेन्स ऑफ इंडिया के फेसबुक पेज पर शेयर करना था। इस इवेंट में विश्वभर के हजारों पर्वतारोहियों ने हिस्सा लिया।

चार महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी की फतह

भावना मध्यप्रदेश के जिला छिंदवाड़ा के ग्राम तामिया में जन्मी एक भारतीय पर्वतारोही हैं। वह 22 मई 2019 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर फतेह हासिल करने वाली प्रदेश की प्रथम महिलाओ में से एक है। इसके साथ ही वे दुनिया के चार महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर पर भारत का तिरंगा फहराकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं। भावना ने साल 2019 में ही दो सबसे प्रमुख भारतीय त्योहार दीवाली के दिन अफ्रीका महाद्वीप का माउंट किलिमंजारो और होली के दिन ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का माउंट कोजिअस्को के सबसे ऊंचे शिखर पर फतह हासिल कर भारत का परचम दुनिया भर में लहरा चुकीं हैं। भावना ने 31 दिसंबर 2019 को साउथ अमेरिका के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट अकोंकागुआ भी क्लाइंब किया था। जिसमें प्रशांत महासागर से आने वाले समुद्री तूफान के कारण शिखर से 500 मीटर दूरी से उन्हें और उनकी टीम को वापस आना पड़ा था। भावना का कहना है की वह जल्द ही दोबारा इस चोटी को फतेह करेंगी।

युवाओं को ट्रेंड करना है लक्ष्य
हाल ही में, भावना ने मध्य प्रदेश के महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, सतना से नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस में डिप्लोमा भी प्राप्त किया। इसके साथ ही भावना ने वीएनएस कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड मैनेजमेंट स्टडीज भोपाल से फिजिकल एजुकेशन में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन भी कम्पलीट कर लिया है। भावना जल्द ही अपना माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट खोलना चाहती है जिसमे उन्हें उम्मीद है की मध्य प्रदेश सरकार उनकी मदद करेगी। जिससे वो पर्वतारोहण के क्षेत्र में रुचि रखने वाले बच्चो को ट्रेनिंग दे पाएं।



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