दांव पर 'दोस्तों' का सियासी भविष्य: BJP की जीत से उभरेंगे सिंधिया, कांग्रेस जीती तो बढ़ेगा पायलट का कद - Web India Live

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दांव पर 'दोस्तों' का सियासी भविष्य: BJP की जीत से उभरेंगे सिंधिया, कांग्रेस जीती तो बढ़ेगा पायलट का कद

भोपाल. मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में दो युवा नेता अपने-अपने भविष्य की दशा-दिशा तलाश रहे हैं। दोनों ने अपने-अपने राज्यों में राजनीति को हिला दिया था। दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में जाकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई तो सचिन पायलट ने बगावती तेवर दिखाकर राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बैकफुट पर ला दिया था।

हालांकि दोनों नेताओं की इससे आगे की राजनीति अलग रही। सिंधिया को मनाया नहीं जा सका जबकि पायलट बाद में मान गए। अब ओर जहां मध्य प्रदेश में उपचुनाव में सिंधिया अपने वजूद को बचा कर भविष्य गढ़ने की जद्दोजहद कर रहे हैं तो पायलट भी यहां के उपचुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार में उतर कर अपने कद को भविष्य बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। पायलट की डिमांड लगातार बढ़ी है। उससे पार्टी को भी उससे फायदा होगा और उनका भी राजनीतिक कद बढ़ेगा।


ज्योतिरादित्य सिंधिया
22 सीटों पर सिंधिया के साथ बगावत कर भाजपा में आने वाले विधायक प्रत्याशी बनकर मैदान में हैं। इनमें से 14 मंत्री हैं। सिंधिया के लिए इनकी जीत ही भाजपा में उनके भविष्य और वजन को तय करेगी। यदि इन प्रत्याशियों में कुछ करते हैं तो सीधा नुकसान सिंधिया को झेलना पड़ेगा। नए मंत्रिमंडल गठन से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक की पॉलिटिक्स में सिंधिया की वजनदारी उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे। इसीलिए सिंधिया ने खुद को पूरी तरह इन सीटों पर झोंक रखा है। वो यहां पूरी ताकत लगा रहे हैं।

हर सीट पर उन्होंने संदेश दिया कि यह चुनाव उनका है। भले ही पार्टी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान का चेहरा आगे किया लेकिन सिंधिया इन सीटों पर प्रचार भी पीछे नहीं रहे। भाजपा में सिंधिया का अंदरुनी विरोध भी है। वह दोहरे मोर्चे पर लड़ रहे हैं। उन्हें कांग्रेस का भी सामना करना है तो भाजपा के विरोध को ही संभालना है। दोनों मोर्चों पर सफलता इन सीटों पर जीत ही तय करेगी।

सचिन पायलट
कांग्रेस की जीत पर सचिन पायलट का कद बढ़ेगा। उपचुनाव में कांग्रेस ने पायलट को गुर्जर वोट बैंक व युवाओं में क्रेज के कारण उतारा है। पायलट को जो रिस्पांस मिला है। उससे कांग्रेस उत्साहित है। उनकी डिमांड आई तो उनके दौरे बढ़ाए गए। पायलट प्रचार के जरिए खुद को साबित करने में जुट गए हैं। पायलट के प्रचार वाली सीटों पर कांग्रेस को जीत मिलती है तो इससे पार्टी में सचिन का कद और भरोसा बढ़ेगा। पायलट खुद को राजस्थान से बाहर भी अपने आपको साबित कर पाएंगे। साथ ही कांग्रेस के लिए खुद को जरूरत वाला नेता साबित कर सकेंगे। जिससे उनका राजस्थान में भी सियासी वजन बढ़ेगा। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को बगावत को सफलतापूर्वक निपटाने का क्रेडिट मिला। ऐसे में पायलट को नए सिरे से पार्टी में खुद को और भविष्य के लिए तैयार रहना बेहद जरूरी है।



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