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2021 में हनुमान भक्तों को होगा खास फायदा, जानिये नए साल का हनुमान जी से संबंध

साल 2020 को समाप्त होने में चंद दिन बाकि हैं, ऐसे में हर कोई 2021 को नई आशाओं से निहारता हुआ इंतजार कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार ये 2021 का पूरा वर्ष हनुमान जी को समर्पित रहेगा ।

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जहां वर्ष 2020 में पूरे वर्ष कुंडली में काल सर्प योग बने रहने के कारण लाखों लोगों की मौत होने के साथ ही जनता में भय का माहौल बना रहा। वहीं इस बार यानि अगले वर्ष 2021 की कुंडली में विष योग बनने की बात कही जा रही है। ऐसे में इस साल भी विष योग की बात सुनकर आम लोग टेंशन में आ गए हैं।

ऐसे में ज्योतिष के जानकारों के अनुसार ये वर्ष 2021 खास तौर से हनुमान जी की पूजा करने वालों के लिए विशेष रह सकता है। दरअसल विष योग में शनि व चंद्र का प्रभाव होता है, ऐसे में मंगल जिसे देवसेनापति भी माना जाता है उसके कारक स्वयं हनुमान जी है और मंगल ही शनि के साथ ही चंद्र की स्थिति में सामंजस्य का कार्य कर सकता है। यानि ऐसे मे हनुमान जी की पूजा इस वर्ष खास रहेगी वहीं इस पूजा के चलते विष योग का प्रभाव भी कम होगा।

2021 की कुंडली :
दरअसल इस वर्ष यानि 2021 में चन्द्रमा अपनी स्वयं की राशि कर्क तथा गुरु के नक्षत्र पुनर्वसु के बाद शनि के नक्षत्र पुष्य में भ्रमण करेगा। चंद्रमा प्राणी मात्र के लिए अमृत का ही स्वरूप होता है, परंतु ये शनि के प्रभाव के कारण विषयोग उत्पन्न कर रहा है।

इसके अलावा इस वर्ष 2021 में शनि के साथ मकर राशि में अर्थात शनि की ही राशि में बृहस्पति के होने से भी बृहस्पति के कई शुभाशुभ प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं।

हालांकि वर्ष 2021 की शुरुआत कर्क राशि और कन्या लग्न से हो रही है। चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में तथा लग्न हस्त नक्षत्र में होने के कारण यह साल सफलता और प्रगति का-सूचक भी प्रतीत हो रहा है। वर्ष कुंडली 2021 के अनुसार, वर्ष के स्वामी बुध अपने घर से चौथे भाव में मित्र राशि सूर्य के साथ स्थित है।

शनि के नक्षत्र हैं- पुष्य,अनुराधा और उत्तराभाद्रपद और 2 राशियां हैं मकर एवं कुम्भ। तुला राशि में 20 अंश पर शनि परमोच्च है और मेष राशि के 20 अंश प परमनीच है। वर्षभर शनि मकर राशि में रहेगा। मकर राशि 10वें भाव यानि कर्मभाव में है।

ऐसे समझें विषयोग :
शनि व चंद्र एकसाथ एक ही भाव में स्थित होते हैं तो इस युति को 'विषयोग' के नाम से जाना जाता है। ग्रहण योग की ही भांति 'विषयोग' भी एक अशुभ योग होता है, जो जातक के लिए अनिष्टकारी होता है। चंद्रमा का किसी भी रूप में शनि के साथ मेल होना या युति होना या दृष्टि पड़ना विष योग बनाता है।

वहीं शनि के संबंध में मान्यता है कि शनि को कोई दूसरा ग्रह शासित नहीं कर पाता वहीं इसको संचालित करने वाली देवी स्वयं मां काली हैं। जबकि चंद्र को ग्रहों में मंत्री का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही इसके कारक देव स्वयं महादेव है।

ऐसे में शनि व चंद्र के योग से बने विषयोग को रोकना किसी भी ग्रह के लिए संभव होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में हनुमान जिन्हें 11वां रुद्रावतार माना जाता है साथ ही यह देवसेनाति मंगल के कारक ग्रह हैं, इस कारण यहीं इस विष योग को साधने में समर्थ हैं।



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