साधु संतों ने कहा- हमें नहीं मिली सरकार की मदद
भोपाल ञ्च पत्रिका. कोरोना काल में सबसे दयनीय स्थिति साधु-संतों की रही है। इन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली। ऐसे में कई छोटे मंदिरों के संचालन में परेशानी आ रही है। राजधानी के लालघाटी नेवरी स्थित काल भैरव मठ में आयोजित संत समागम में यह पीड़ा संतों ने रखी। समागम में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से संत महंत जुटे हैं। इस दौरान साधु संतों की अनेक समस्याओं को लेकर विचार मंथन किया गया। संतों का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र के छोटे मंदिरों में जहां संचालन व पुजारियों का गुजारा दान की राशि से होता है। मंदिर बंद होने से महीनों तक मंदिरों के संचालन में दिक्कत आई, पुजारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मंदिर खुलने के बाद भी दर्शनार्थियों की संख्या काफी कम हो गई है। ऐसे में शासन को चाहिए कि मंदिर के संत पुजारियों को जरूरी मदद उपलब्ध करानी चाहिए।
समागम में संत, महंत, पुजारियों को मदद उपलब्ध कराने, गौशालाओं के अनुदान में वृद्धि करने की मांग की गई। भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने अभियान चलाने का निर्णय लिया। शासकीय भूमि पर निर्मित मठ मंदिरों को पट्टा देने, धार्मिक पंजीकृत समितियों के वार्षिक सत्यापन शुल्क को न्यूनतम दर निर्धारित करने की भी मांग की। संतों ने रीवा में परशुराम आश्रम को तोडऩे की घटना का पुरजोर विरोध किया। समागम में महंत कैलाश दास पंडा बाबा, पंडित गंगा प्रसाद शर्मा, महंत प्रेम दास, पुरुषोत्तम दास, महंत भरत गिरी, पंडित राममोहन शास्त्री, पंडित दीपक तिवारी आदि रहे।
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