कानून में खामी, उम्मीदवारों के साथ दलों पर भी तय होनी चाहिए खर्च की सीमा - ओपी रावत - Web India Live

Breaking News

कानून में खामी, उम्मीदवारों के साथ दलों पर भी तय होनी चाहिए खर्च की सीमा - ओपी रावत

भोपाल. चुनाव में बेतहाशा खर्च और कालेधन का उपयोग बड़ा सवाल है। चुनाव के लिए खर्च सीमा तो तय है लेकिन दलों के लिए कोई सीमा नहीं है। यह कानून की खामी है। किसी भी दल का उम्मीदवार चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा हमेशा आयोग द्वारा तय सीमा के अनुरूप ही दिखाता है। अन्य खर्च उसके दल के खाते में चले जाते हैं। ऐसे में काननू को और मजबूत बनाने की जरूरत है। ये कहना है सेवा निवृत्त मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का। रावत से पत्रिका की विशेष बातचीत...

सवाल - चुनाव में कालेधन का उपयोग कैसे रोका जा सकता है?
रावत - चुनाव के लिए खर्च सीमा तय है। लेकिन दलों के लिए कोई सीमा नहीं है। यह कानून की खामी है। ऐसे में उम्मीदवार अपने खर्च तो दायरे में दिखाते हैं, लेकिन अन्य खर्च दल के खाते में चले जाते हैं। यदि दलों की भी खर्च की सीमा तय हो जाए तो अधिक खर्च की संभावना समाप्त हो जाएगी।

सवाल - आयोग के पास पर्याप्त शक्तियां हैं। बावजूद कालेधन का उपयोग क्यों नहीं रुक रहा?
रावत - चुनाव आयोग उम्मीदवारों से खर्च का हिसाब लेता है। जहां तक चुनाव के दौरान जब्त होने वाली राशि का सवाल है तो यह जांच के बाद तय होता है पैसा कहां से आता है। इसके लिए आयोग संबंधित से प्रमाण मांगता है। प्रमाण के अभाव में कार्यवाही होती है। इसके नियम स्पष्ट हैं।

सवाल - हाल ही में आयकर छापों में कालेधन के उपयोग की बात सामने आई है। जिनका नाम आया, क्या उन्हें अयोग्य किया जाना चाहिए?
रावत - समाचार पत्रों में जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक आयकर ने कार्यवाही कर सरकार को जांच के लिए कहा है। यह जांच के बाद ही तय होगा कि अपराध किस तरह का है। जहां तक अयोग्य किए जाने का सवाल है तो यह दोष सिद्ध होने के बाद तय होगा। अयोग्यता के नियम स्पष्ट हैं।

सवाल - लेनदेन का स्पष्ट उल्लेख होने पर आयोग ने जांच के लिए राज्य सरकार को क्यों लिखा?
रावत - राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद ही सीबीआई मामले को जांच के लिए लेती है। इसलिए आयोग ने सरकार को लिखा। समाचार पत्रों के मुताबिक जांच के लिए ईओडब्ल्यू के लिए कहा गया है। चूंकि, इसमें राज्य के कुछ अधिकारियों के नाम हैं, इसलिए निर्णय भी राज्य सरकार करेगी।

सवाल - क्या सरकार ईओडब्ल्यू के अलावा किसी और एजेंसी से भी जांच करा सकती है?
रावत - जांच एजेंसी तय करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है। लेकिन इसके पहले चुनाव आयोग से इसकी अनुमति लेना होगी, आयोग की सहमति के बाद ही किसी अन्य एजेंसी से जांच हो सकती है। सरकार की जिम्मेदारी है कि जांच रिपोर्ट से आयोग को अवगत कराए।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/34pEbC7
via

No comments