रविवार : जाने सूर्यदेव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान सूर्य देव कलयुग के एकमात्र ऐसे देव हैं जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। सूर्य देवता सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार हैं। सूर्य से ही पृथ्वी पर जीवन है। वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैल जाता है।
ज्योतिष में जहा सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, वही इन्हें नवग्रहों का राजा भी माना गया है। इसके साथ ही सूर्य को कुंडली में हमारे मान सम्मान का कारक भी मन जाता है।
सूर्य को जहां जगत की आत्मा मन जाता है। वही मान्यता के अनुसार नित्य सूर्य की उपासना करने से हमें शुभ फल प्राप्त होते हैं। सूर्य देव के प्रातः दर्शन कर जल चढ़ाने से सफलता, शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव जी की प्रसन्न करने के लिए रोज प्रातः उनकी आरती करनी चाहिए।
आइये जानते हैं सूर्यदेव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय...
: प्रतिदिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
: सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर।
: रविवार का व्रत रखें।
: भगवान विष्णु की उपासना करें।
: मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें।
: पिता और पिता के संबंधियों का सम्मान करें।
सूर्य देव की आरती (Surya Dev Aarti In Hindi)...
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान।। ऊँ जय सूर्य ……
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।फैलाते उजियारा जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान ।। ऊँ जय सूर्य ……
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।गोधुली बेला में हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान ।। ऊँ जय सूर्य ……
देव दनुज नर नारी ऋषी मुनी वर भजते। आदित्य हृदय जपते।।स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान ।। ऊँ जय सूर्य ……
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान ।। ऊँ जय सूर्य ……
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।वेद पुराण बखाने धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान ।। ऊँ जय सूर्य ……
पूजन करती दिशाएं पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशमान ।। ऊँ जय सूर्य ……
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।।धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।
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