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खास बातचीतः शिवराज बोले- नए साथियों के साथ ताल-मेल गजब का

भोपाल। बीते वर्ष 23 मार्च को ही प्रदेश में कोरोना का पहला लॉकडाउन लगा था और 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ( shivraj singh chauhan ) चौथी बार मुख्यमंत्री बने। कोरोना काल के साथ बीता एक वर्ष का कालखंड उनके लिए, प्रदेश के लिए और उनकी राजनीतिक जमीन के लिए कैसा रहा, यही जानने के लिए सोमवार को उनसे पत्रिका के राज्य संपादक विजय चौधरी ने मुलाकात की। अपने चिर-परिचत अंदाज में वे आत्मविश्वास से लबरेज दिखे।

बातचीत में उन्होंने साझा की आगे की रणनीति...

 

1. चौथा कार्यकाल, बीते तीन कार्यकाल से भिन्न है, क्योंकि इस सरकार में कांग्रेेस से आए लोगों की सहभागिता है। राजनीतिक दृष्टि से यह साल कैसा रहा?

शिवराज: परिस्थितियां बनीं और कांग्रेस के मित्र वहां से परेशान होकर भाजपा में आए। ज्योतिरादित्यजी (सिंधिया) बेहद सुलझे हुए और सकारात्मक सोच वाले नेता हैं। उनके साथी भी पूरे मन से काम कर रहे हैं और मैं इन नए साथियों के साथ बहुत कमफर्टेबल (आरामदायक स्थिति) हूं। ताल-मेल गजब का है।

2. इस कार्यकाल में आप अधिक आक्रामक शैली में कार्य कर रहे हैं?

शिवराज: माफियाओं के विरुद्ध मैं हमेशा से ही आक्रामक रहा हूं। पत्रिका से बेहतर इस बात को कोई नहीं जानता कि बीते कार्यकाल में मेरी ही सरकार ने इंदौर में जमीन के दर्द से पीडि़त लोगों को उनके भूखंड दिलवाए। बाद में भी हम समझाइश देते रहे, मगर जमीन के माफिया माने ही नहीं। इसी कारण हमें सख्त कदम उठाने पड़े।

 

3. मगर पहले कभी आप 'माफिया जमीन में गाड़ दिए जाएंगे' जैसे वाक्य नहीं बोलते थे?

शिवराज: रावण भी माफिया था और उसे समाप्त करने के लिए राम ने उग्र रूप धरा था। दुष्टों को समाप्त करने के लिए राजदंड उठाना ही पड़ता है और यह भी राजधर्म ही तो है।

 

4. कोरोना एक वर्ष बाद फिर लौटा है, कैसे निपट रहे हैं?

शिवराज: देखिए जनता को जागरूक करने के हर संभव प्रयास सरकार कर रही है। रोको-टोको अभियान के तहत सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि लोग मास्क लगाएं, सामाजिक दूरी का पालन करें और हाथ को साफ रखें। यह बात जरूर है कि कोरोना बड़ी चुनौती है, मगर हम इससे हर हाल में निपटेंगे।

 

5. सरकार बार-बार कर्ज ले रही है? क्या प्रदेश में आर्थिक प्रबंधन ठीक नहीं है?

शिवराज: कर्ज वही राज्य ले सकता है, जिसने आर्थिक सुधार के कदम उठाए हों। वित्त विभाग के कायदों के अनुसार हमने व्यवस्था में सुधार किया, इसलिए हम कर्ज लेने के पात्र हुए। जैसे उद्योगपति कर्ज लेकर व्यापार करता है और सफल होता है, वैसे ही हमारी सरकार भी है। जो कर्ज ले रहे हैं, उसे हमारी जीडीपी ग्रोथ से उतारते भी जा रहे हैं। प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर है और हमारा वित्त प्रबंधन भी अच्छा है।

 

प्रश्न : किसान आंदोलन में प्रदेश के किसान भी जुड़े हुए हैं। आप इस आंदोलन को कैसे देखते हैं?

शिवराज : तीनों कृषि कानून किसानों की बेहतरी के लिए हैं और इस पर किसानों से सरकार ने हर तरह से चर्चा की है। मगर विपक्षी दलों ने बेवजह यह आंदोलन चला रखा है। प्रदेश में भी विपक्ष ने और कुछ गैर राजनीतिक लोगों भी सक्रिय हुए मगर प्रदेश का किसान बहुत समझदार है वह इनकी बातों में नहीं आया। प्रदेश में किसानों के लिए बेहतर वातावरण और बाजार सरकार उपलब्ध करवा रहा है। किसान हमारा अन्नदाता है और उसे कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी।

 

 

 

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प्रश्न : बीमा कंपनियां कई बार किसानों के साथ धोखा करती है, उन्हें हक की राशि नहीं मिल पाती है?

शिवराज : यह सही है कि बीमा कंपनियों ने गड़बड़ी की। हमने व्यवस्था में सुधार की कोशिश की है और हर बार नए तरीके से इस समस्या का समाधान भी सोचा है। बीच में तो सरकार ने यह भी सोचा था कि सरकार खुद ही बीमा करे। विशेषज्ञों की राय लेकर बदलाव करते रहते हैं। किसानों को हम राहत और सम्मान राशि दोनों ही देते हैं। फसल का नुकसान होने पर उनके साथ हमेशा न्याय करने का प्रयास रहता है।

 

प्रश्न : औद्योगिक निवेश में प्रदेश अन्य राज्यों से पीछे क्यों दिखता है?

शिवराज : कुछ राज्यों को उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भौगोलिक स्थिति मदद करती है, मगर हम पीछे नहीं हैं। हर देश का मध्य में स्थित हैं और इसके चलते निवेशक आते रहते हैं। हर सोमवार मैं निवेशकों से चर्चा करता हूं और आज भी टेक्सटाइल में निवेश के लिए दो उद्योगपतियों से चर्चा हुई है। पूरे प्रदेश में हम औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रहे हैं।

 

प्रश्न : इंदौर को आप आइटी सिटी के तौर पर पेश क्यों नहीं कर पा रहे हैं? दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर और अटल एक्सप्रेस-वे क्या प्रदेश के निवेश मार्ग बन पाएंगे?

शिवराज : इंदौर के सुपर कॉरिडोर पर टीसीएस और इन्फोसिस जैसी बड़ी आइटी कंपनियों ने निवेश किया है और यह हमारे कार्यकाल में हुआ। वहां सिंबायोसिस, नरसीमुंजी जैसे शिक्षण संस्थान आए हैं। आने वाले समय में और भी निवेश वहां देखने को मिलेगा। दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर और अटल एक्सप्रेस-वे निश्चित तौर पर प्रदेश की प्रगति के नए द्वार खोलेंगे। एक से मालवा क्षेत्र और दूसरे से चंबल-ग्वालियर क्षेत्र के विकास को निवेश के पर लगेंगे।

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प्रश्न: शराबबंदी की आवाज आपकी ही पार्टी में से उठ रही है? आखिर शराब पर आर्थिक निर्भरता कब तक?

शिवराज : देखिए, सिर्फ शराबबंदी से शराब बंद हो जाए तो मैं शराबबंदी में सबसे आगे रहूंगा। असल में इसके पहले नशामुक्ति की पहल होना चाहिए और हम उसी पर काम कर रहे हैं। हम शराब की तस्करी को बढऩे नहीं देना चाहते हैं इस कारण शराबबंदी नहीं की जा रही है। यह एक सामाजिक बुराई है और हमें इसे समाज के साथ मिलकर ही खत्म करना होगा।



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