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कोरोनाकाल में भी खजुराहो, भीमबैठका समेत कई स्थलों पर पहुंचे सैलानी, यूनेस्को में शामिल हैं यह स्थल

भोपाल। यूनेस्को ( unesco ) की सूची में शामिल विश्व धरोहरों ( world heritage ) पर कोरोना का प्रभाव तो पड़ा है लेकिन इसके बाद भी पर्यटकों का रुझान बना रहा। एक साल के कोरोना काल में इन एतिहासिक स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बनी रही। प्रदेश में यूनेस्को की सूची में शामिल खजुराहो, सांचीं और भीमबैठका में 30 से 45 फीसदी पर्यटक आए।

 

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पर्यटक मंत्रालय ने यूनेस्को की सूची में शामिल देश की 38 धरोहरों की मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की है। इसमें 2019-20 और 2020-21 में आए पर्यटकों की संख्या का तुलनात्मक अध्ययन है। 2021 में 31 जनवरी तक के आंकड़े शामिल हैं। पर्यटन विशेषज्ञ सुनील नोतानी कहते हैं कि कोरोना काल में भी इतने पर्यटकों के आने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि हम ये भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि वे यहां सुरक्षित हैं। हमारे यहां कोरोना के लिहाज से सारे पैरामीटर का ध्यान पर्यटन स्थलों पर रखा गया। उन्हें यहां देखभाल, साफ-सफाई और सुरक्षा भी नजर आई।

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शैलाश्रय देखने आए ज्यादा पर्यटक

खजुराहो में 2019-20 में 2 लाख 76 हजार 738 पर्यटक आए थे। 2020-21 में संख्या 90 हजार 888 रही। यानी कोरोना के बाद भी 30 फीसदी पर्यटकों ने खजुराहो का रुख किया। सांची के बौद्ध स्मारक देखने 2019-20 में 2 लाख 70 हजार 805 सैलानी आए। 2020-21 में 46 हजार 543 यानी 17 फीसदी सैलानी आए। भीम बैठका के शैलाश्रय देखने 2019-20 में 78 हजार 415 पर्यटक आए जो 2020-21 में 45 फीसदी यानी 36 हजार से ज्यादा रहे।

 

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अन्य विश्व विरासतों में आए पर्यटक

धरोहर 2019-20 2020-21
ताजमहल 5164828 1033018
लाल किला 2291408 188435
कुतुम मीनार 2306434 343733
अजंता गुफाएं 293401 37974
एलोरा गुफाएं 1280687 37974
फतेहपुर सीकरी 651663 94108
राजस्थान के किले 1087048 657470
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एक नजर

  • खजुराहो करीब एक हजार साल पुराना इतिहास है।
  • रायसेन जिले में सांची बौद्ध समुदाय का बड़ा केंद्र है।
  • भीम बैठका पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है।

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