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42 फीसदी पुरुषों ने की धूम्रपान छोडऩे की कोशिश

भोपाल : वक्त के साथ समाज में जागरुकता आ रही है और यही जागरुकता सामाजिक बदलाव की बड़ी वजह बन रही है। पिछले एक साल में तंबाकू के सेवन को लेकर प्रदेश के लेागों की सोच में परिवर्तन आया है। पुरुष हों या महिलाएं, सभी तंबाकू के जहर से दूर जाना चाहते हैँ। धूम्रपान हो या तंबाकू चबाना दोनों ही मौत की तरफ जाने के रास्ते हैं। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े हैरान करने के साथ बदलते समाज का असर दिखाते हैं। प्रदेश के 42 फीसदी पुरुषों ने पिछले एक साल में बीड़ी-सिगरेट फंूकने की आदत को छोडऩे का प्रयास किया है। इसका असर ये हुआ है कि कई अपनी कोशिश में कामयाब हो गए तो कई इस लत को कुछ हद तक काबू करने में सफल रहे। पुरुषों के अलावा 50 फीसदी महिलाओं ने भी तंबाकू, जर्दा या खैनी चबाने की आदत से तौबा करने की कोशिश की। इसमें अच्छी बात ये भी है कि कोरोना काल में तंबाकू से दूर जाना कोरोना से बचने का एक रास्ता भी है।

80 फीसदी 8 से 13 साल में पीते हैं पहली सिगरेट :
तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार तंबाकू की लत बचपन से लग जाती है। धूम्रपान करने वालों में 80 फीसदी लोग पहली सिगरेट 8 से 13 वर्ष की उम्र में पीते हैं। प्रदेश में कुल 50.2 फीसदी पुरुष और 17.3 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं। वहीं 24.7 फीसदी लोग सार्वजनिक जगहों पर अप्रत्यक्ष रुप से धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। 36.4 फीसदी बच्चे घर में बड़ों के धूम्रपान की चपेट में आते हैं वहीं 48.7 फीसदी बच्चे बाहर इसका शिकार होते हैं। इनके अतिरिक्त 55 हजार बच्चे हर साल तंबाकू सेवन करने वालों की सूची से जुड़ रहे हैं।

गर्भवती महिलाओं के शिशुओं पर बुरा प्रभाव :
सर्वे में ये आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं तंबाकू के दुष्परिणामों की जानकारी के अभाव में मुंह साफ करने के लिए तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं। महिलाएं गर्भावस्था के समय प्रसव पीड़ा को दूर करने के लिए भी तंबाकू चबाती हैं जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। बच्चों के आसपास धूम्रपान से नवजात शिशु की मौत का संकट, निमोनिया, काली खांसी और फेंफडों से संबंधित समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

इस तरह तंबाकू से दूर जाना चाहते हैं लेाग :
- वर्तमान में तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुष - 50.2 फीसदी
- वर्तमान में तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाएं - 17.3 फीसदी
- तंबाकू का उपयोग करने वाले शहरी - 24.3 फीसदी
- तंबाकू का उपयोग करने वाले ग्रामीण - 38.5 फीसदी
- एक साल में धूम्रपान छोडऩे का प्रयास करने वाले पुरुष - 42.2 फीसदी
- एक साल में तंबाकू छोडऩे की कोशिश करने वाली महिलाएं - 48.9 फीसदी

नशामुक्त प्रदेश बनाने का प्रयास :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को नशामुक्त प्रदेश बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सीएम कहते हैं कि वे इस प्रकार का माहौल तैयार करना चाहते हैं जिससे लोग स्वेच्छा से नशे से दूर जाएं ताकि वे दोबारा उस रास्ते पर न जाएं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने कहा कि सरकार जागरुकता के साथ तंबाकू उत्पाद के उपयोग पर नियंत्रण की नीति पर भी काम कर रहे हैं। इसके लिए राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल का गठन किया गया है साथ ही जिला तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम भी शुरु किया गया है।



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