प्रदेश भर के कोचिंग संचालकों ने बनाया संघ, एक्ट बनाने और जीएसटी में छूट की मांग
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भोपाल. कोरोना काल में कोचिंग संचालकों के सामने आ रही समस्याओं को लेकर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो प्रदेश भर के कोचिंग संचालक एक छत के नीचे एकजुट हुए। भोपाल हाट में जबलपुर, इंदौर, छिंदवाड़ा, बैतूल, रतलाम, ग्वालियर, विदिशा और आस-पास जिलों के कोचिंग संचालकों की एक बैठक हुई। इसमें 18 जिलों के जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में मप्र कोचिंग संघ का गठन किया गया। जिसके अध्यक्ष रवि दांगी बनाए गए जो इंदौर कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, सचिव संजय तिवारी बनाए गए। बाकी और भी पदों पर लोगों को नियुक्त किया है।
बैठक में चर्चा हुई कि सरकार कोचिंग संचालकों का ध्यान नहीं दे रही। शराब दुकान, मॉल, सिनेमा हॉल सब खुल गया, लेकिन कोचिंग नहीं खुली। विदेशों में सबसे पहले स्कूल और कोचिंग खोलते हैं। इससे संचालकों के सामने खासी समस्या खड़ी हो गई है। संजय तिवारी ने बताया कि सरकार संचालकों को समृद्ध समझती है। हकीकत में स्थिति वैसी नहीं रही। कोरोना काल में सब कुछ खत्म सा होता जा रहा है। अगर सरकार का यही रवैया रहा तो स्थिति खराब हो सकती है। सरकार 20 लाख से ऊपर टर्न ओवर वाले संचालकों से 18 फीसदी जीएसटी लेती है। उन्होंने कोचिंग एजुकेशन एक्ट बनाने व जीएसटी से छूट की मांग की है। संचालकों की तरफ से मांग की गई कि उन्हें एमएसएमइ का दर्जा मिले। जिससे कई तरह की रियायतें मिल सकें। कोचिंग को इंडस्ट्री का दर्जा नहीं होने से लोन भी नहीं मिलता है।
1948 से संचालित कर रहे कोचिंग
जबलपुर से आए एक कोचिंग संचालक ने बताया कि प्रदेश में क्रेश कोर्स इनके परिवार की ही देन है। तीसरी पीढ़ी उनकी कोचिंग से जुड़ी है। लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोचिंग संस्थानों की हालत खराब हो रही है। प्रदेश सरकार को कोचिंग संचालकों के हित में जल्द से जल्द कुछ कदम उठाने चाहिए जिससे इससे जुड़े लोगों का जीवनयापन चल सके।
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