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चायनीज का क्रेज बरकरार, जानिए बाजार में कितनी है हिस्सेदारी

भोपाल. मध्यप्रदेश में चायनीज सामानों का क्रेज कम नहीं हो रहा है. प्रदेश के सभी सेक्टर के कारोबार में चीनी सामानों की 32 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बनी हुई है. इसके बाद भी इस बारे में सरकार और कारोबारियों ने विशेष कदम नहीं उठाए हैं. सरकार ने सेक्टर बनाकर निवेश की कोशिश की, मगर कामयाबी नहीं मिली. सरकार किसी एक सैट पैटर्न या मॉडल पर विकास करने के बजाए बार-बार नीतियों में बदलाव कर रही है.

इसके साथ ही नीतिगत तौर पर यह निर्णय भी नहीं हुआ कि उद्योगों को चीनी मॉडल पर स्थापित करना है या जापान-जर्मनी-फ्रांस की तरह सेक्टर बनाए जाना हैं. दरअसल, चीन में हर उत्पाद के लिए समर्पित इलाका है. जैसे, मोबाइल बनाना है तो माइक्रो चिप से लेेकर मोबाइल पैक करने के डिब्बा तक एक जगह उपलब्ध रहता है.

इससे लागत कम होती है और इंडस्ट्री विकसित होती है. जापान, जर्मनी, फ्रांस में इस तरह के सेक्टर नहीं हैं. उद्योग संचालक तालमेल से दूरी कम करते हैं और उत्पाद तैयार करते हैं. इधर, प्रदेश के कारोबारी बताते हैं कि हमारे यहां करीब 7 ग्लोबल इंवेस्टर समिट हो चुकी हैं. इसके बावजूद औद्योगिक विकास का कोई तय फॉर्मूला नहीं बना है.

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क्लस्टर: सरकार क्लस्टर बना रही है, जिसमें एक उत्पाद को थीम में रखकर काम हो रहा है। मसलन, इंदौर के आसपास फर्नीचर क्लस्टर, खिलौना क्लस्टर और नमकीन क्लस्टर विकसित किया जा रहा है।

मैन्युरिंग हब: सरकार आष्टा के पास डाटा सेंटर व डिजिटल प्रोडक्ट का हब बना रही है। यहां सिलिकॉन, मोबाइल चिप सहित अन्य रॉ मटेरियल निर्माण और आगे डाटाबेस का निर्माण करने का प्रोजेक्ट है।

समिट: कोरोना काल के बीच अगस्त में बालाघाट में लोकल इंवेस्टर समिट हुई। सरकार के मुताबिक इसमें 4000 करोड़ का निवेश आया है। यह मुख्य रूप से कृषि, खाद्य, पर्यटन क्षेत्र में हुआ है।

मल्टीनेशनल: कोरोना के बाद चीन में मल्टीनेशनल कंपनियों का निवेश कम हुआ है। वहां की किसी कंपनी ने मुंह मोडकऱ मध्यप्रदेश की राह नहीं थामी है। इतना जरूर है कि कई मल्टीनेशनल कंपनियां मध्यप्रदेश आना चाहती हैं।

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