Dhanteras 2021 पौराणिक कथाएं: क्यों मनाते हैं धनतेरस का पर्व, क्या है इस दिन का महत्व
नई दिल्ली।
धनतेरस यानी धनत्रयोदशी का पर्व इस बार भी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाएगा। इस बार यह 2 नवंबर दिन मंगलवार को है।
मान्यता है कि धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर, औषधि के देवता धनवंतरी और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन किसी वस्तु की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदने से घर में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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माना जाता है कि दीपावली के महापर्व की शुरूआत धनतेरस के त्योहार से होती है। इस बार धनतेरस का त्योहार 02 नवंबर दिन मंगलवार को है। बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि धनतेरस का पर्व क्यों मनाया जाता है और इस दिन का महत्व क्या है।
पुराणों में वर्णित है कि धनतेरस के दिन धनकुबेर और धनवंतरी देव की पूजा होती है, इसलिए इस पर्व को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे, धनतेरस की कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें एक है समुद्र मंथन की कथा।
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे, इसलिए उनके अवतरण दिवस के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है और उनका पूजन होता है। भगवान धनवंतरी को औषधि और चिकित्सा का देवता माना जाता है। वह खुद भगवान विष्णु के अंशावतार है और संसार को आरोग्य प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, धनतेरस पर्व मनाने के पीछे भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा का भी उल्लेख आता है। भागवत पुराण के अनुसार, धनतेरस के दिन ही वामन अवतार ने असुरराज बलि से दान में तीनों लोक मांगकर देवताओं को उनकी खोई हुई संपत्ति और स्वर्ग प्रदान किया था। इसी उपलक्ष्य में देवताओं नें धनतेरस का पर्व मनाया था।
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के पूजन से स्वास्थय और आरोग्य की प्राप्ति होती है, तो वही धन कुबेर के पूजन से धन और संपत्ति की। धनतेरस का त्योहार घर में सुख-समृद्धी के आगमन का त्योहार है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर यमदीपक जलाने का भी विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज अकाल मृत्यु से अभय प्रदान करते हैं।
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