Lakhimpur Kheri Violence Case: योगी सरकार को SC की फटकार, पूछा-हजारों की भीड़ में सिर्फ 23 गवाह? अब 8 नवंबर को सुनवाई - Web India Live

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Lakhimpur Kheri Violence Case: योगी सरकार को SC की फटकार, पूछा-हजारों की भीड़ में सिर्फ 23 गवाह? अब 8 नवंबर को सुनवाई

नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी हिंसा ( Lakhimpur Kheeri Violence Case ) मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने मंगलवार को एक बार फिर यूपी की योगी सरकार को फटकार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि घटनास्थल पर हजारों की भीड़ थी फिर भी अब तक 23 ही चश्मदीद गवाह क्यों मिले हैं?
यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया और यह भी निर्देश दिया कि गवाहों के बयान तेजी से दर्ज किए जाएं। इस मामले में अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की।

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योगी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। साल्वे ने कहा कि डिजिटल मीडिया पर मौजूद वीडियो के जरिए आगे की जांच की जा रही है। ये पता लगाया जा रहा है कि घटना में और कौन लोग शामिल थे. इस संबंध में साक्ष्य भी जुटाए जा रहे हैं।

इस पर CJI ने कहा कि वहां पर बड़े पैमाने पर किसानों की रैली चल रही थी, सैकड़ों किसान मौजूद थे। ऐसे सिर्फ 23 चश्मदीद मिले? इसके बाद साल्वे ने बताया कि लोगों ने कार और कार के अंदर मौजूद लोगों को देखा है।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि घटनास्थल पर पांच हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ थी, कई स्थानीय लोग भी मौजूद थे, यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश आंदोलन कर रहे हैं। कोर्ट को यही बताया गया है। फिर इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

वहीं, हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अब तक जितने गवाहों के बयान दर्ज हैं, उनके बयान यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में दे सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले से जुड़े गवाहों के बयान दर्ज करने और जिला न्यायाधीश से न्यायिक मजिस्ट्रेटों की सेवाएं लेने को कहा।

साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर उसकी चिंताओं से फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को अवगत कराने और इसमें तेजी लाने को कहा।



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