लघु उद्यम की शक्ल लेते स्व सहायता समूह, हाल ही में पंचायतों में 27 स्व सहायता समूहों की बढ़ी है आय - Web India Live

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लघु उद्यम की शक्ल लेते स्व सहायता समूह, हाल ही में पंचायतों में 27 स्व सहायता समूहों की बढ़ी है आय

भोपाल. पंचायतों में काम कर रहे स्व सहायता समूह अब लधु उद्यम की शक्ल लेते जा रहे हैं। हाल ही में पंचायतों में 27 ऐसे स्व सहायता समूह उभरकर सामने आए हैं जिनके बनाए अचार, पापड़, दिये, साड़ी, जरी जरदोजी, गिफ्ट हैंपर, थैले, कढ़ाई के कपड़ों की डिमांड एक दम से उठी है। महाराष्ट्र, बेंगलुरु, दिल्ली, बंगाल तक इनके बनाए सामान जा रहे हैं। इन स्व सहायता समूहों में काम करने वाली तीन हजार से ज्यादा महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। इनके बढ़ते हुए काम को देखकर बैंक भी इनको काम बढ़ाने के लिए लोन देने लगी है। इससे ये लघु उद्यम की शक्ल लेते जा रहे हैं। इमलिया पंचायत की धनवति मीना ने अचार बनाने शुरू किए तो उनके हाथ के बने अचार की कोई बराबरी नहीं कर सका। इसको बढ़ाने के लिए उन्होंने पंचायत में ही कई और महिलाओं को जोड़ा। पहले दस फिर बीस इस तरह उनका ग्रुप बढ़ता चला गया। आज स्थिति ये है कि पचास से ज्यादा महिलाओं का रोजागार अचार से चल रहा है। इन्होंने पंचायत से 40 हजार का लोन लेकर इसे और फैलाया आज ये काम लघु उद्यम की तरफ बढ़ रहा है। खूब बिके गिफ्ट हैंपरकरवा चौथ के अवसर पर पांच स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए संस्कार हैम्पर खूब बेचे गए। इसमें तैयार किए गए जरी वर्क साड़ी और हस्त निर्मित ज्वैलरी साथ श्रंगार के सामान की डिमांड अभी भी बनी हुई है। काम इतना बढ़ रहा है कि स्व सहायता समूहों की महिलाओं को सीधे कपड़ा और हौजरी बाजार से जोड़ दिया है। वे अपने बने प्रोडक्ट अब सीधे बाजार में ले जा रही हैं। इससे आय तो बढ़ ही रही है, महिलाओं में उद्यमिता का विकास भी हो रहा है। आजीविका मिशन की रेखा पांडे ने बताया कि स्व सहायता समूहों का काम ही महिलाओं को रोजगार से जोडऩा है। हाल की में जो काम पंचायतों में हो रहे हैं, उनसे ये लक्ष्य प्राप्त होता दिख रहा है। ये आइटम भी बना रहे स्व सहायता समूहस्व सहायता समूह की अर्चना मैहर ने बताया कि गिफ्ट हैम्पर में जौ से निर्मित गणेश जी, पुराने कपड़ों से तैयार जैकेट (कोटी), हेंड पर्स, गोबर से निर्मित मोबाइल स्टेंड, पुराने कपड़ों से तैयार कुशन कवर, क्लच बैग, बोरी से निर्मित चटाई, पुराने कपड़ों एवं अन्य साम्रगी से निर्मित कोस्टरर्स, पुरानी साडिय़ों से निर्मित पायदान एवं आसन, गोबर से निर्मित इको फ्रेन्डली दिये, बांस से निर्मित डब्बा, बांस से निर्मित सेट (नेकलेस एवं झुमके), बांस एवं धागों से निर्मित कान के झुमके आदि शामिल हैं। अब तक 50 लाख की आयस्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने मकर संक्राति, वसंत पंचमी, होली, शिवरात्रि, रक्षा बंधन, नवरात्रि, दीपावली और क्रिसमस पर्व पर करीब 10 हजार गिफ्ट हैम्पर तैयार कर तीन लाख 60 हजार रुपए की आमदनी की है। इसके साथ अब तक अन्य गिफ्ट हैंपर से स्व सहायता समूह की महिलाएं 50 लाख रुपए की आमदनी कर चुकी हैं।वर्जनस्व सहायता समूह लगातार कोई न कोई ऐसा काम कर रहे हैं जिससे न केवल उनकी आय बढ़ रही है, महिलाओं का रुझान व्यापार की तरफ बढ़ रहा है। धीरे-धीरे कर और स्व सहायता समूहों को इससे जोडऩा है। विकास मिश्रा, सीईओ, जिला पंचायत



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