हमीदिया दुखांतिका- चंद दिनों का सफर-बस यही कहानी, दर्द, तलाश, आंखों में पानी
किसी की आंखों से निकल रहे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। तो किसी की आंखों में गहरा दु:ख है। तो कोई अपने बच्चे की स्थिति जानने के लिए अभी भी भटक रहा है। यह स्थिति हमीदिया अस्पताल में हुई घटना के बाद नजर आ रही है। यहां जो बच्चे भर्ती है उनके परिजन यह जानने के लिए बैचेन हैं कि उनके बच्चे की स्थिति क्या है। वहीं जो बच्चे दम तोड़ चुके हैं, उनके परिजन उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दे रहे हैं।
परिजनों की आंखों से लगातार निकल रहे आंसू
हमीदिया अस्पताल में हादसे के बाद कई माता-पिता को उनके भर्ती नवजात बच्चों की हालत के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया। इसे लेकर अस्पताल में अफरातफरी का माहौल रहा। सबके दिलों में दर्द और भीगी हुई आंखों में बच्चों से मिलने की तड़प है। जब भी कोई भी मंत्री या सांसद वहां दौरे पर आता तो वे उसे घेर लेते। सिर्फ यह जानने के लिए कि बच्चे कैसे होंगे। विनती करते हैं कि एक बार बच्चों को दिखा दो, लेकिन निराशा ही हाथ लगती है। वहीं कुछ परिजनों ने अपने बच्चों को हमेशा के लिए खो दिया है। उन्होंने उनकी फोटो और यादों को लेकर अंतिम संस्कार किया।
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