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उप चुनावों में सत्तारूढ़ दल को ही पसंद किया मतदाताओं ने, कई बार झटका भी दिया

भोपाल। इतिहास गबाह है जब-जब राज्य में उप चुनाव हुए सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को ही मतदाताओं ने पसंद किया। हालांकि इन उप चुनावों में मुकाबला कांटे का ही रहा है। कई मौके ऐसे भी आए जब सत्तारूढ़ दल को मतदाताओं ने झटका भी दिया और विपक्ष के उम्मीदवार को चुनकर विधानसभा तक भेजा।

मौजूदा 15वीं विधानसभा की बात करें तो इस विधानसभा में अभी तक कुल 34 सीटों पर उप चुनाव हुए। इस विधानसभा में देखा जाए तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। सरकार बनाने का मौका मिला। लेकिन डेढ़ साल में ही पार्टी में अंदरूनी कलह और राजनीतिक उठापटक के चलते डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस से भाजपा में पहुंचे इन विधायकों पर भाजपा ने भरोसा करते हुए चुनाव मैदान में उतारा और भाजपा को सफलता मिली। हालांकि कुछ सीटों पर भाजपा उम्मीदवार को हार का सामना भी करना पड़ा। इनमें सुमावली, मुरैना, गोहद, ग्वालियर पूर्व, डबरा, करैरा, ब्यावरा सीट प्रमुख है। दमोह विधानसभा सीट से भाजपा को सबसे ज्यादा झटका लगा क्योंकि उस दौरान सिर्फ एक सीट पर ही चुनाव हुए थे। कांग्रेस की रणनीति सफल रही और यहां से कांग्रेस के अजय टंडन चुनाव जीते।

झाबुआ सीट से भाजपा विधायक रहे गुलाब सिंह डामोर ने लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई और चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। यहां हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली। यहां से कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया चुनाव जीते। हालांकि यह भी सही है उप चुनावों में ज्यादातर में भाजपा को ही जीत मिली है। 15वीं विधानसभा में हुए उप चुनाव में 21 सीटों में भाजपा को सफलता मिली, जबकि कांग्रेस को मात्र 13 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इसी प्रकार 14 वीं विधानसभा में हुए कुल 14 सीटों के उप चुनाव में भाजपा को 9 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस को 5 सीटें पर ही सफलता मिल सकी।



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