खरीदते समय ध्यान रखें, ज्यादा असरकारक नहीं हैं ये दवाइयां, ऐसे सामने आया सच
भोपाल. चिकित्सा विज्ञान बहुत तरक्की कर चुका है. कई गंभीर बीमारी का इलाज खोजा जा चुका है लेकिन हम बहुत जल्द ऐसे दौर में पहुंचने वाले हैं जब यह तरक्की धरी रह जाएगी। उस समय छोटी-छोटी बीमारियां जानलेवा हो जाएंगी और मौत का कारण बनेंगी। मामूली संक्रमण जानलेवा साबित होंगे। इसकी वजह है एंटीबायोटिक दवाओं का बेतहाशा इस्तेमाल।
पूरी दुनिया एंटीबायोटिक की इस कदर आदी हो चुकी है कि अब बहुत से एंटीबायोटिक बेअसर हो चुकी हैं। गुरुवार को एनएचएम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी सहित अनेक वक्ताओं, डाक्टर्स ने इस तथ्य का उल्लेख करते हुए एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध सेवन पर चिंता जताई। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने तो यह भी कहा कि इसे रोकने के प्रदेश में जल्द ही सख्त पॉलिसी लागू की जाएगी।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है
कार्यक्रम में मिशन प्रबंध संचालक प्रियंका दास, संचालक डॉ. पंकज शुक्ला सहित तमाम विशेषज्ञ मौजूद थे। डॉ. पंकज शुक्ला के मुताबिक एंटीबायोटिक के ज्यादा उपयोग से सबसे बड़ा नुकसान रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है। एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है, तो साल में 10 गोली से ज्यादा न लें। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से छोटी सी बीमारी भी घातक हो जाती है।
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