भगवान शिव चार माह के बाद श्रीहरि को सौंपेंगे सृष्टि की बागडोर
भोपाल. वैकुण्ठ चतुर्दर्शी का पर्व गुरुवार को श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस मौके पर शहर में जगह-जगह दीपदान होंगे। वहीं घरों और मंदिरों में भगवान विष्णु और भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दिन दीपदान का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए लोगों द्वारा जगह-जगह दीपदान भी किया जाएगा। सनातन परम्परा अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ भगवान विष्णु को वापस सृष्टि की बागडोर सौंपते हैं।
दरअसल चातुर्मास में देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं और इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ करते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जागृत होते हैं, इसके बाद वैकुण्ठ चतुर्दर्शी पर सत्ता का दायित्व भगवान विष्णु को सौंपते हैं।
मुक्तेश्वर मंदिर से निकलेगी शोभायात्रा
वैकुण्ठ चतुर्दर्शी के मौके पर परम्परा अनुसार हरि और हर का मिलन होगा। इस मौके पर मुक्तेश्वर महाकाल मंदिर से शोभायात्रा निकलेगी जो विभिन्न मार्गों से होते हुए लखेरापुरा स्थित श्रीजी मंदिर पहुंचेगी। गोपाल पुरोहित ने बताया कि वैकुण्ठ चतुर्दर्शी पर हरि और हर के मिलन की परम्परा का निर्वाह किया जाएगा।
प्रदोष पर सेवंती, रजनीगंधा के फूलों से की सजावट
प्रदोष व्रत मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया। कार्तिक माह के प्रदोष पर शहर के शिवालयों में भोलेनाथ का विशेष शृंगार किया गया। शहर के मुक्तेश्वर महाकाल मंदिर में मंगलवार को महाकाल का गुलाब, सेवंती, गेंदा, रजनीगंधा सहित विभिन्न प्रकार के फूलों से शृंगार किया गया।
भगवान वटेश्वर का शृंगार
शहर के बड़वाले महादेव मंदिर में भगवान वटेश्वर का भी आकर्षक शृंगार किया गया। इस दौरान फूलों से भगवान वटेश्वर का शृंगार किया गया और पूजा अर्चना हुई। शृंगार दर्शन का सिलसिला रात्रि तक चलता रहा।
दीपों से जगमग हुए अयप्पा मंदिर, भक्तों ने फूलों से सजाई रंगोली
मलयाली समाज के मकरविल्लकु महोत्सव की शुरुआत मंगलवार से हो गई। यह महोत्सव मकर संक्रांति तक चलेगा। 41 दिन तक चलने वाले इस पूजन महोत्सव के अंतर्गत अयप्पा मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना, भागवत पारायण सहित अन्य आयोजन होंगे। इसी प्रकार 12 और 41वें दिन दीप आराधना होगी और मंदिरों को दीपमालाओं से सजाया जाएगा। मंडलम मकरविल्लकु के पहले दिन शहर के अयप्पा मंदिरों में फूलों से आकर्षक रंगोली और दीपमालाएं सजाई गई। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में दीपक जलाए गए और श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर पूजा अर्चना की और दर्शन किए।
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