COP-26 Summit में भारत ने दिया संकेत- NSG की सदस्यता दो तो जलवायु परिवर्तन पर पूरा करेंगे वादा - Web India Live

Breaking News

COP-26 Summit में भारत ने दिया संकेत- NSG की सदस्यता दो तो जलवायु परिवर्तन पर पूरा करेंगे वादा

नई दिल्ली।

ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बीते 31 अक्टूबर से चल रहे क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस यानी COP-26 Summit में भारत ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में खुद को शामिल किए जाने को लेकर बड़ी चालाकी से पासा फेंका है। यह सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने COP-26 Summit के मंच से यह संकेत दे दिया कि यदि भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी NSG में शामिल किया जाता है तो वह जलवायु परिवर्तन पर अपनी प्रतिबद्धता को और पुख्ता तरीके से पूरा करेगा। इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने NSG के लिए भारत की दावेदारी भी जता दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में संकेत दिया कि अगर भारत को NSG की सदस्यता दी जाती है तो वह जलवायु वार्ता पर अपनी प्रतिबद्धताओं को और बेहतर ढंग से पूरा कर सकेगा। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या NSG की सदस्यता के लिए भारत की ओर से फेंका गया यह पासा सटीक गिरेगा।

यह भी पढ़ें:- भारतीय कंपनी भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन को WHO ने दी मंजूरी, अब यह टीका लगवाए लोग विदेश भी आ और जा सकेंगे

बता दें कि NSG 48 न्यूक्लियर सप्लायर्स देशों का एक समूह है। इसकी सदस्यता का मतलब है परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीकों और यूरेनियम जैसी परमाणु सामग्रियों तक सीधी पहुंच। इसके लिए सदस्य देशों से अलग से किसी समझौते की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा न्यूक्लियर प्लांट्स से निकलने वाले कचरे के निस्तारण में भी सदस्य देशों से मदद मिलेगी।

NSG के गठन का उद्देश्य परमाणु हथियारों का विस्तार रोकना और परमाणु तकनीक का शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल सुनिश्चित करना है। भारत लंबे वक्त से एनएसजी की सदस्यता के लिए पुरजोर मांग करता आया है। हालांकि, चीन हर बार इस राह में इस आधार पर अड़चन डाल देता है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि यानी NPT पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसके साथ ही चीन पाकिस्तान की दावेदारी का मुद्दा उठा देता है। इस्लामाबाद ने भी NPT पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

यह भी पढ़ें:- भारत में US के अगले राजदूत के तौर पर नामित गार्सेटी ग्लासगो में कोरोना से संक्रमित, प्रधानमंत्री मोदी भी 2 नवंबर को वहां से लौटे हैं

यदि भारत को NSG की सदस्यता मिल गई तो देश को सहूलियत तो जरूर होगी, मगर इससे कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। NSG समेत प्रमुख रूप से 4 ग्लोबल नॉन-प्रोलिफरेशन रिजीम्स हैं। बाकी 3 हैं- वासेनार अरेंजमेंट, मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप।

भारत सिर्फ एनएसजी को छोड़कर बाकी तीनों रिजीम्स का पहले से ही सदस्य है। NSG का सदस्य नहीं होने के बाद भी से उसका अमरीका से परमाणु सहयोग है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, रूस, फ्रांस जैसे देशों से भी उसके अलग से परमाणु समझौते हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3k8ZBes

No comments