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3 मेडिकल स्टूडेंट्स की मौत-सभी को था एक जैसा टेंशन

भोपाल. 3 मेडिकल के स्टूडेंट्स की एक के बाद एक मौत होना चिंता का विषय है, हैरानी की बात तो यह है कि तीनों स्टूडेंट्स को एक जैसा टेंशन था, वे टेंशन से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, ऐसे में उन्होंने गलत कदम उठा लिया।

 

चार दिन के भीतर शहर ने तीन मेडिकल क्षेत्र के स्टूडेंट को खो दिया। 25 अप्रेल को बीएएमस छात्र, 27 को नर्सिंग छात्रा और 28 को बीफार्मा के स्टूडेंट ने आत्महत्या कर ली। तीनों की मौत की वजह तनाव न झेल पाना है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि जीवन का अंत सिर्फ इसलिए कर लेना क्योंकि चुनौती से निपटने का कोई विकल्प समझ में नहीं आ रहा है यह गलत है। बच्चों को संघर्ष से जूझना सीखना होगा।

 


25 अप्रेल को कोलार इलाके में मेडिकल स्टूडेंट अमृत पटेल ने खुदकुशी कर ली थी। उसका शव एलएन आयुर्वेदिक कॉलेज के हॉस्टल में फंदे पर मिला। 27 अप्रेल को राजधानी की शुभी चौरसिया ने विदिशा के नर्सिंग कालेज के हॉस्टल में फांसी लगा ली। और पिपलानी में बीफार्मा के स्टूडेंट ने हॉस्टल की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। 4 दिन के भीतर हुई इन तीन मौतों में एक बात कॉमन है। तीनों मेडिकल स्टूडेंट परीक्षा और कॉलेज के माहौल की वजह से तनाव से ग्रसित थे। किसी को फेल होने का डर तो किसी के साथ रैकिंग हुई थी।

 

समस्या से जूझना सीखें

जेपी अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. राजेंद्र बैरागी का कहना है कि युवा कठिन परिस्थिति सामने आते ही जीवन का अंत करना सरल समझते हैं। हालांकि, गरीब का बच्चा इस बारे में नहीं सोचता। क्योंकि उसे रोज संघर्ष की आदत है। मिडिल क्लास के बच्चों और उनके अभिभावकों को समस्या से जूझना सीखना होगा। यह जरूरी है।

गुमसुम रहे बच्चा तो सावधान

बच्चा यदि सामाजिक नहीं है तो उसकी काउंसलिंग की जरूरत है युवक-युवती यदि एकांत में रहना पसंद कर रहे हैं तो परिजनों को सावधान होने की जरूरत है घर में नशे की सामग्री बार-बार मिल रही है तो माता-पिता को बच्चों को सही गलत बताना होगा, यदि आत्महत्या का एक प्रयास हो चुका है तो लगातार निगरानी जरूरी है

दोस्त के साथ खड़ा था जाते ही छलांग लगा दी

शुक्रवार को पिपलानी में बीफार्मा स्टूडेंट श्रेयष मिश्रा ने हॉस्टल की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। पटेल नगर स्थित अनिका छात्रावास की छत पर करीब सवा सात बजे वह अपने दोस्त के साथ तीसरी मंजिल पर खड़ा था। दोस्त के मेस जाते ही छलांग लगा दी। श्रेयश दुबे कॉलोनी (कटनी) का निवासी था। भोपाल में टीआइटी कॉलेज का छात्र था। पुलिस को उसके पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। दोस्तों से पता चला है कि हाल ही में रिजल्ट आया था। इसके बाद से वह तनाव में था।

 

हर स्टूडेंट के जीवन में ऐसा दौर आता है जब वो दबाव में सुसाइड जैसा कदम उठाते हैं। जब भी आप असफल हो तो कारणों को जानें। जब भी सुसाइड जैसे ख्याल मन में आए तुरंत अपनों से बात करें।
मुकेश राजपूत, कॅरियर कांउसलर

युवाओं को समझना होगा कि उनके परिजनों ने उन्हें तैयार करने के लिए जीवन के सबसे चुनौती भरे वर्ष साहसपूर्वक एवं सफलता के साथ गुजारे हैं। उन्हें भी जीवन की चुनौतियों से लडऩा है।
हरिनारायण चारी मिश्रा, पुलिस कमिश्नर भोपाल



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