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पुलिस की डिक्शनरी में शामिल होंगे आसान शब्द, रोजमर्रा के चलन में नहीं आने वाले शब्द होंगे बाहर

भोपाल. पुलिस की डिक्शनरी या कहें कि कानूनी कार्रवाई यानी एफआइआर, केस डायरी आदि में उपयोग लाए जाने वाले अलग-अलग भाषाओं के शब्दों के सरल मायने ढूंढने का जिम्मा अब सीआइडी शाखा को सौंपा गया है। मालूम हो कि तकरीबन डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा बैठक के दौरान ब्रिटिश काल से उपयोग में लाए जा रहे ऊर्दू-फारसी समेत अन्य कठिन शब्दों की जगह हिन्दी के सरल शब्दों के उपयोग के लिए कहा था। इसके बाद पीएचक्यू की रिसर्च एंड डवलमेंट शाखा ने 675 ऐसे शब्दों का चिह्नित किए थे और उनकी जगह उपयोग में ला जा सकने वाले शब्दों की सूची तैयार की थी। जानकारी के मुताबिक इनमें वे शब्द भी शामिल थे, जिनका हिन्दी में उपयोग कठिन है और ये आम बोलचाल की भाषा में नहीं हैं। अब पुलिस डिक्शनरी से उन शब्दों को खोजने और उनकी जगह सरल शब्दों के चयन का जिम्मा सीआइडी शाखा कर रही है।

‘पुलिस’ के वे शब्द जिनका दिया गया था ऑप्शन

पुलिस मुख्यालय की आरएंडडी शाखा ने पुलिस कार्रवाई में उपयोग आने वाले 675 ऐसे शब्दों का चयन किया था, जिनको समझना मौजूदा समय में आम लोगों के आसान नहीं है। इनमें अपीलकुनिंदा, मश्रूका, अदमचैक, आलामात, अर्जकुनिंदा, मुद्दई, अदम पैरवी, रोजनामचा, फर्द अफरात, अहकाम, दीगर, अदम पैरवी प्रमुख हैं। यहां बता दें, आरएंडडी शाखा ने इन शब्दों के सरल हिन्दी शब्द भी दिए थे। मसलन अपीलकुनिंदा की जगह याचनाकर्ता, मश्रूका की जगह जब्त सामान और अदमचैक की जगह असंज्ञेय। हालांकि कई हिन्दी शब्द भी आम लोगों की बोलचाल में मौजूदा समय में शामिल नहीं हैं। ऐसे में अब उन पुराने शब्दों को हटाकर सरल शब्द लाने की कवायद की जा रही है, जो पूरी तरह चलन से बाहर हैं। इनकी संख्या 150 से अधिक बताई जा रही है।
ऊर्दू-अरबी शब्द हटाने का विरोध भी
पुलिस की भाषा से ऊर्दू और अरबी शब्दों को हटाने के लिए की जा रही कवायद के बीच इसका विरोध भी हुआ था। शीतकालीन विधानसभा सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने इस तरह की किसी भी प्रक्रिया का विरोध करने की बात कही थी। हालांकि पुलिस मुख्यालय के मुताबिक पुलिस कार्रवाई की भाषा को आमजनों के लिए अधिक उपयोगी बनाने के लिए उन शब्दों को हटाकर उनकी जगह सरल शब्द ढूंढे जा रहे हैं, जिनका उपयोग अब पूरी तरह बंद है और इन्हें समझना मुश्किल है।



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