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कोरोना की आहट के बीच MP आधा पास, आधा फेल

भोपाल। देश के विभिन्न राज्यों से एक बार फिर सामने आ रही कोरोना को देखते हुए अस्पतालों की तैयारियो को सोमवार को जांचा गया। इस जांच के तहत मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिला अस्पतालों सहित अन्य अस्पतालों में तैयारियों को परखा गया। ऐसे में जहां प्रदेश के कुछ अस्पतालों में व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आईं, तो वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर हम काफी कमजोर दिखे। इन तैयारियों के मामले में यदि सूबे के चारों बड़े शहरों की बात करें तो भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में तो व्यवस्थाएं ठीक रहीं, लेकिन जबलपुर में काफी लापरवाही देखने को मिली। ऐसे में कोरोना के इलाज में उचित मापदंडों का पालन नहीं कर डॉक्टरों ने सारी व्यवस्थाओं की पोल ही खोल कर रख दी।

भोपाल- नहीं मिली कोई कमी
हमीदिया से लेकर जेपी अस्पताल तक में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आईं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने सभी तैयारियों का जायजा लेकर कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। हमीदिया में डमी पेशेंट को कोरोना वार्ड ले जाया गया। इलाज की पूरी प्रक्रिया अपनाई गई, जहां कहीं कोई कमी नजर नहीं आई। टाइमिंग भी सही रही।

नर्मदापुरम- एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं
मॉकड्रिल के दौरान जिस एंबुलेंस में मरीज को लाया गया, उसमें ऑक्सीजन नहीं थी। इस दौरान जिन स्टाफ ने मरीज को अटेंड किया, उन्होंने पीपीई किट पहन रखी थी। मरीज को वार्ड में भर्ती कर उसका ऑक्सीजन लेवल लिया गया। फिर सेंट्रल लाइन से मरीज को ऑक्सीजन लगाई है। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ 3 मिनिट में पूरी हो गई।

सागर- ऑक्सीजन सप्लाई बेहतर
यहां सिर्फ ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया गया। 1 हजार लीटर क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट पर जाकर मशीन चालू की और सप्लाई शुरू की। अधिकांश बेड के प्वाइंटों पर प्रॉपर ऑक्सीजन पहुंची। ऑक्सीजन प्यूरिटी 94 प्रतिशत थी।

 

मंदसौर- दुरुस्त रहीं व्यवस्थाएं
यहां जिला अस्पताल में एक मरीज को एंबुलेंस से लाया गया। सभी एहतियात के साथ मरीज को वार्ड में ले जाया गया। उसकी जांच की गई। सैंपल लिया गया। इस दौरान सभी अधिकारी मौजूद रहे। हालांकि जिला अस्पताल में स्थित आरटीपीसीआर लैब बंद है। नीमच में भी व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आईं। रतलाम में ११ को मॉकड्रील होगी।

जबलपुर- ऑक्सीजन मास्क सही नहीं लगा सके
यहां तमाम तरह की खामियां नजर आईं। मरीज के आने पर उसे वार्ड में किस तरह ले जाना है, यह तक स्टाफ को नहीं पता था। मरीज को वार्ड में ले जाने में देर हुई। उसे मास्क भी सही तरीके से नहीं लगाया जा सका था। सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि जो कमियां हैं, उन्हें बेहतर बना लिया जाएगा।

इंदौर- ऑक्सीजन प्रेशर 91 फीसदी
शहर के एमटीएच अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का प्रेशर देखा गया, जो ९१ फीसदी रहा। हालांकि कुछ देर बाद ९६ फीसदी पर पहुंच गया। इसके साथ ही पीसी सेठी अस्पताल, हुकमचंद अस्पताल, एमवाय अस्पताल सहित अन्य स्थानों पर मुआयना किया गया। शहर में अभी कोरोना के 48 एक्टिव मरीज है।

कटनी- पीपीई किट पहने बिना ही पहुंचे डॉक्टर
कटनी जिला अस्पताल में तैयारियों को लेकर हुई मॉकड्रिल में चिकित्सक ही सावधानी बरतना भूल गए। यहां नरसिंग स्टाफ तो तैयारियों के साथ उपस्थित था, लेकिन डॉक्टर पीपीई किट के बिना ही पहुंच गए ।

सीधी- बगैर पीपीइ किट के इलाज
जिला अस्पताल में काफी लापरवाही सामने आई। कोरोना मरीज को एंबुलेंस से लाकर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन सुरक्षा मापदंडों का पालन नहीं किया गया। चिकित्सक सहित अन्य स्वास्थ्य अमला बिना पीपीई किट के ही मौजूद थे।

बुरहानपुर- ऑक्सीजन प्लांट का पॉइंट ही चालू नहीं हुआ
जिला अस्पताल में मॉकड्रिल के दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई। कोविड सेंटर के बेड के पास ऑक्सीजन प्लांट के पॉइंट का स्वीच ही चालू नहीं हुआ। खंडवा में व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आई तो खरगोन में भागमभाग की स्थिति रही।

सतना- मशीन ही नहीं हो पाई चालू
कोविड आइसीयू में जब गंभीर मरीज को भर्ती किया गया तो वाइपेप मशीन नहीं चली। स्टॉफ काफी देर तक मशीन को चालू करने के लिए मशक्त करता रहा। गंभीर मरीजों को प्रेशर से कृत्रिम ऑक्सीजन देने के लिए वाइपेप मशीन का उपयोग किया जाता है।

ग्वालियर- तत्काल मिला इलाज
यहां सारी व्यवस्थाएं चाक-चैबंद रहीं। हालांकि पीपीई किट को लेकर कुछ डॉक्टर और अन्य लोग लापरवाह नजर आए। जेएएच के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ का कहना है कि हमारी तैयारी पूरी है। इसी को लेकर मॉकड्रिल के माध्यम से व्यवस्थाएं चेक की गईं।



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