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डटल अससटट हसपटल मनजमट ऑकयपशनल थरपसट लब टकनशयन करस सवर दग आपक भवषय

जरूरी नहीं की एमबीबीएस, एमडी या अन्य कोई मेडिकल की पढ़ाई करने पर ही कोई स्टूडेंट डॉक्टर बनकर अच्छी कमाई कर सकता है, बल्कि कई डिप्लोमा और कोर्सेस ऐसे भी हैं, जिन्हें करने के बाद कोई भी व्यक्ति बेहतर कमाई कर सकता है और उसे मेडिकल से जुड़े विभिन्न सेक्टरों में नौकरी और सेल्फ प्रोफेशन के बेहतर अवसर मिलते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कई कोर्सेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप बहुत कम खर्च में अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

 

डेंटल असिस्टेंट से हॉस्पिटल मैनेजमेंट तक मौके ही मौके

सि र्फ नीट की परीक्षा के जरिए ही नहीं, कई डिप्लोमा और सर्र्टिफिकेट कोर्सेस के जरिए भी हेल्थकेयर सेक्टर में कॅरियर बना सकते हैं। हेल्थकेयर सेक्टर में प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने इस सेक्टर को और बेहतर बनाने के लिए इसके बजट में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की। इस साल बजट में नए मेडिकल कॉलेज की घोषणा भी की है। ऐसे में हेल्थकेयर सेक्टर में प्रोफेशनल्स की डिमांड अभी और बढ़ेगी। जानिए, इस फील्ड में कहां-कहां हैं मौके...

डेंटल असिस्टेंट, हॉस्पिटल मैनेजमेंट, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, लैब टेक्नीशियन कोर्स संवार देंगे आपका भविष्य

डेंटल असिस्टेंट Dental Assistant

हेल्थकेयर इंडस्ट्री में डेंटल असिस्टेंट के रूप में भी कॅरियर बना सकते हैं। ओरल सर्जरी से पहले और बाद में डॉक्टर को कई तरह की मदद की जरूरत होती है, डेंटल असिस्टेंट वही मदद करने का काम करते हैं। इसके अलावा दंत चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट और डिवाइस को स्टेरेलाइज करना भी डेंटल असिस्टेंट का काम होता है।

कैसे बनें

डेंटल असिस्टेंट बनने के लिए साइंस के साथ 12वीं होना जरूरी है। देश के कई नामी संस्थान डेंटल असिस्टेंट के लिए डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं। इनमें एम्स दिल्ली, क्रिश्चिन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, पीजीआइ चंडीगढ़ और बीजे मेडिकल कॉलेज अहमदाबाद शामिल हैं।

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हॉस्पिटल मैनेजमेंट Hospital Management

हॉस्पिटल मैनेजमेंट हेल्थकेयर के एडमिन डिपार्टमेंट का हिस्सा होता है। इससे जुड़े कैंडिडेट्स का काम अस्पताल से जुड़ी व्यवस्था को देखना है। इसके अलावा मरीजों के लिए नई तकनीक को शामिल करना, कर्मचारियों को सुविधा दिलाना और योग्य डॉक्टर्स को अस्पताल से जोड़ना भी इनकी जिम्मेदारी का हिस्सा है।

कैसे बनें

साइंस स्ट्रीम से न्यूनतम 50 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले कैंडिडेट 3 वर्षीय बैचलर ऑफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट में कर सकते हैं। कई संस्थान यह कोर्स कराते हैं। इसमें एम्स, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर और आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज पुणे शामिल है।

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ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट Occupational Therapist

शारीरिक और मानसिक डिसएबिलिटी से जूझने वाले मरीजों को मेडिकल हेल्प देना ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट का काम होता है। ये व्यायाम और उपकरणों के जरिए मरीज का इलाज करते हैं।

ऐसे बनें

फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी में 12 वीं करने के बाद ऑक्यूपेशनल थैरेपी में बैचलर, मास्टर और डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।

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लैब टेक्नीशियन Lab Technician
लैब टेक्नीशियन का काम मेडिकल लेबोरेट्री में मरीजों की जांच करके रोगों का पता लगाना होता है, लैब में लिए जाने वाले सैम्पल की जांच करना और उसके परिणाम बताना लैब टेक्नीशियन की जिम्मेदारी होती है, इसके अलावा मेडिकल रिकार्ड रखना भी उनका काम होता है,

ऐसे बनें
सांइस स्ट्रीम से 12 वीं करने के बाद बीएससी इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन कर सकते हैं।



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