भीम बेटका के चित्र हजारों साल पहले के जीवन के दर्शाते हैं
भोपाल. राजधानी भोपाल से ४५ किमी दूर रायसेन जिले के भीमबेटका की रॉक पेटिंग दुनिया के पुरातत्वविदों के आकर्षण का केंद्र है। यूनेस्को ने इसे मानव विकास के आरंभिक स्थल के रूप में चिन्हित करते हुए विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। कहा जाता है यही से दक्षिण एशियाई पाषाण युग की शुरुआत हुई थी।
750 रॉक पेटिंग
लाखों वर्ष पुरानी पुरा पाषाण धरोहर भीमबेटका में करीब ७५० रॉक पेटिंग हैं। इनमें से एएसआइ ने १५ को चिन्हित किया है। आदि मानवों ने यहां शैलचित्र और शैलाश्रयों (रॉक शेल्टर्स) में नृत्य, संगीत, आखेट,घोड़ोंं और हाथियों की सवारी को दिखाया है। इसके अलावा बाघ, सिंह, सुअर, हाथी, कुत्ता, घडिय़ाल आदि जानवरों की तस्वीरों को चित्रित किया गया है। इसके साथ ही भीमबेटका की दीवारों धार्मिक संकेतों से भी सजी हुई हैं। ऐसा माना जाता है कि ये स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबंधित है। इसी से इसका नाम भीम बेटका पड़ा।
आश्चर्यचकित करने वाली कलाकारी
रातापानी अभ्यारण्य के अंदर विंध्य पर्वतमाला के चट्टानी इलाकों में की गयी चित्रकारी आस्ट्रेलिया के काकाडू नेशनल पार्क और फ्रांस के लासो गुफा में की गयी चित्रकारी से काफी मिलती-जुलती है। ये चित्रकारी प्राकृतिक रंगों से की गयी थी। करीब ३ हजार साल बाद भी इन पर कोई असर नहीं पड़ा है।
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